काश 18 की उम्र में किसी ने बताया होता… रिश्तों की ये 5 सच्चाइयाँ

रिश्तों से जुड़ी ये 5 सच्चाइयाँ हर उस लड़की को ज़रूर जाननी चाहिए जो पहली बार प्यार में पड़ रही हो। एक 24 साल की लड़की की दिल से निकली सीखें, जो काश 18 की उम्र में पता होतीं।

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Vaishali Garg
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ज़िंदगी में रिश्ते सब कुछ होते हैं लेकिन जो कुछ हम फिल्मों, शायरी या सोशल मीडिया से सीखते हैं, वो अक्सर अधूरा और ग़लत होता है। आज जब मैं 24 की हो गई हूँ, तो सोचती हूँ काश किसी ने 18 की उम्र में ये 6 बातें समझा दी होती… तो शायद कुछ दिल टूटते नहीं, और कुछ गलतियां दोहरानी न पड़तीं।

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काश 18 की उम्र में किसी ने बताया होता… रिश्तों की ये 5 सच्चाइयाँ

1. प्यार की सबसे बड़ी परीक्षा मुश्किल वक्त में होती है

हर रिश्ता अपने शुरुआती दिनों में आसान लगता है। सब कुछ नया होता है, दिल बार-बार धड़कता है और छोटी-छोटी बातों में भी खुशी मिलती है। लेकिन असली प्यार की पहचान तब होती है जब ज़िंदगी मुश्किल हो जाए। क्या वो इंसान तब भी तुम्हारे साथ खड़ा रहता है जब तुम emotionally कमजोर हो, जब तुम्हारे पास देने के लिए कुछ नहीं होता? मैंने अपनी ज़िंदगी में ऐसे लोग देखे जो मेरी ख़ुशियों में तो साथ थे, लेकिन जैसे ही कोई tough phase आया वो गायब हो गए। आज समझ आया कि सच्चा रिश्ता वही होता है जो तुम्हारी तकलीफों में तुम्हारा हाथ थामे, तुम्हारी ख़ामोशी को सुने और बिना कहे तुम्हारे लिए खड़ा हो जाए।

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2. जो प्यार तुम्हें रोक दे, वो प्यार नहीं समझौता है

अक्सर हम रिश्ते में आकर खुद को बदलना शुरू कर देते हैं। अपने कपड़ों से लेकर दोस्तों तक, अपने सपनों से लेकर बोलने के तरीके तक हर चीज़ धीरे-धीरे ‘उसके हिसाब से’ ढलने लगती है। और फिर एक दिन हम खुद को पहचानना बंद कर देते हैं। मैंने भी ऐसा ही किया, अपने करियर प्लान्स, अपनी आज़ादी, यहां तक कि अपनी आवाज़ तक को किसी के ego के आगे दबा दिया। लेकिन अब समझ में आया है कि जो रिश्ता तुम्हारी उड़ान रोक दे, वो रिश्ता प्यार नहीं होता वो control होता है। असली रिश्ता वही होता है जो तुम्हें और बेहतर बनने दे, तुम्हारे सपनों में अपनी जगह खुद ढूंढे ना कि तुम्हारे रास्ते काटे।

3. Boundaries बनाना selfish नहीं, survival है

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पहले मुझे लगता था कि अगर मैं किसी से सच में प्यार करती हूं, तो मुझे हर बार उसकी हर बात सुननी चाहिए, हर बार उसके mood के हिसाब से खुद को adjust करना चाहिए। लेकिन ऐसा करते-करते मैंने खुद को थका दिया। हर बार 'हां' कहना, हर बार खुद को justify करना, और जब-जब मुझे 'ना' कहना चाहिए था, तब भी चुप रहना ये सब धीरे-धीरे मुझे खत्म कर रहा था। अब मैं समझ चुकी हूं कि boundaries बनाना किसी से दूर होने का तरीका नहीं है, बल्कि खुद से जुड़ने का हक है। अगर कोई इंसान तुम्हारी boundaries को इज़्ज़त नहीं देता, तो वो तुम्हारी respect भी नहीं करता और बिना respect के प्यार सिर्फ एक illusion होता है।

4. प्यार में बार-बार सफाई देना पड़े, तो वो भरोसा नहीं शक है

एक हेल्दी रिश्ते में भरोसा बिना कहे महसूस होता है। लेकिन जब हर बात पर सफाई देनी पड़े, हर दोस्त से मिलने से पहले permission लेनी पड़े, हर बार explain करना पड़े कि 'मैं कहां थी, किसके साथ थी' तो वो रिश्ता प्यार नहीं, एक emotional trap बन जाता है। मैंने ऐसे रिश्तों में खुद को तिल-तिल टूटते देखा है, जहां मेरा हर जवाब शक के घेरे में था। और तब समझ आया कि जहां भरोसा ना हो, वहां प्यार बस दिखावा है। एक ऐसा रिश्ता जिसमें तुम खुलकर सांस ना ले सको, खुलकर रो ना सको वो तुम्हें heal नहीं करेगा, बस और तोड़ेगा।

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5. खुद से प्यार करना ही सबसे पहला रिश्ता होता है

18 की उम्र में लगता था कि किसी और का प्यार ही मेरी सबसे बड़ी जरूरत है। किसी का ‘I love you’ मेरी पूरी पहचान बन जाता था। लेकिन अब 24 की उम्र में, जब खुद से लड़ाई करते-करते खुद से दोस्ती की है तो समझ आया कि जब तक तुम खुद से प्यार नहीं करोगी, तब तक कोई रिश्ता तुम्हें पूरी तरह खुश नहीं कर सकता। खुद से प्यार करना आसान नहीं होता खासकर तब जब तुम टूटी हुई हो। लेकिन यही प्यार तुम्हें बार-बार उठने की ताक़त देता है। अब मैं validation दूसरों से नहीं, अपने अंदर से निकालती हूं। और शायद यही सबसे बड़ा maturity का एहसास है कि मैं अपने साथ हूं, तो कोई भी रिश्ता extra है, ज़रूरत नहीं।