Know Your Relationship: रिलेशनशिप में ‘नो’ कहने का हक़

हर रिश्ते में हर बार हामी भरना या हर बात को मंजूर करना ज़रूरी नहीं। कई बार अगर किसी बात से हम सहमत नहीं हैं तो मना करना भी उतना ही सही है। इससे खुद के डिसीजन बने रहते हैं और सहमति का प्रेशर नहीं रहता।

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Anjali Mishra
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Saying No

Saying No Photograph: (Freepik)

Saying No in a relationship: रिश्तों की दुनिया बेहद सेंसिटिव और मुश्किल होती है, जहाँ भावनाएँ, एसपेक्टेशन और समझदारी आपस में जुड़ी होती हैं। किसी भी मजबूत और स्वस्थ रिश्ते की बुनियाद आपसी सम्मान, बात चीत और लिमिट का पता होना पर निर्भर करती है। अक्सर यह माना जाता है कि प्यार का मतलब है हर बात में सहमति जताना, हर मांग को पूरा करना। लेकिन सच्चाई यह है कि एक बैलेंस्ड रिश्ते में 'ना' कहना भी उतना ही जरूरी है जितना कि 'हाँ' कहना। जब हम बिना झिझक अपनी सीमाएँ तय करते हैं और अपने मन की भावनाओं को स्पष्ट रूप से सामने रखते हैं, तो हम न केवल अपने आत्मसम्मान की रक्षा करते हैं, बल्कि अपने रिश्ते को भी और अधिक गहरा और सशक्त बनाते हैं। 'ना' कहना किसी भी तरह की दिसरिस्पेक्ट नहीं होता, बल्कि यह एक ईमानदार रिश्ते की शुरुआत होती है, जहाँ दोनों साथी एक-दूसरे की भावनाओं और इच्छाओं को समझने का अवसर पाते हैं। तो चलिए देखते हैं कैसे आप ना कह सकते हैं किसी भी रिश्ते में।

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रिलेशनशिप में ‘नो’ कहने का हक़

1. रिजेक्शन का डर

अक्सर हम इसलिए 'ना' नहीं कह पाते क्योंकि हमें डर होता है कि सामने वाला नाराज हो जाएगा या रिश्ता टूट जाएगा। लेकिन सच्चे रिश्ते में असहमति को भी जगह मिलती है। अगर कोई रिश्ता आपको 'ना' कहने की आज़ादी नहीं देता, तो वह रिश्ता वैसे भी टिकाऊ नहीं है।

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2. अपनी लिमिट को समझना

हर व्यक्ति की कुछ इमोशनल, मेंटल और फिजिकल सीमाएँ होती हैं। जब आप खुद अपनी सीमाओं को समझते हैं, तभी आप दूसरों को भी बता सकते हैं कि आपके लिए क्या स्वीकार करने लायक है और क्या नहीं। बिना सीमाएँ तय किए रिश्ता बोझ बन सकता है।

3. अपने डिसीजन पर विश्वास रखें 

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ना' कहने के बाद कई बार गिल्ट होता है, खासकर अपनों के सामने। लेकिन यह समझना जरूरी है कि अपने फैसलों पर टिके रहना भी सेल्फ रिस्पेक्ट और आत्मविश्वास का हिस्सा है। अपनी भावनाओं और जरूरतों को प्रायोरिटी देना गलत नहीं है।

4. सही रिस्पॉन्स देना

अगर किसी बात से आप एग्री नहीं कर रहे हैं, तो उसे इग्नोर न करें। समय रहते अपनी असहमति बताएं ताकि बात बढ़े नहीं और मन में कड़वाहट न रहे। देर से कही गई 'ना' कई बार रिश्ते को और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है।

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5. अपने सेल्फ रिस्पेक्ट की रक्षा करना

यदि आप केवल सामने वाले को खुश करने के लिए 'हाँ' कहते हैं, तो कहीं न कहीं आप अपने सेल्फ रिस्पेक्ट से समझौता कर रहे हैं। 'ना' कहना इस बात का संकेत है कि आप खुद की इज्जत करना जानते हैं और अपनी जरूरतों को इंपॉर्टेंस देते हैं।

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