/hindi/media/media_files/toxic-relationship-1.png)
Photograph: (File Image )
Tips To Know If Your Partner Is Controlling or Not: एक कंट्रोलिंग पार्टनर वह होता है जो अपने साथी के जीवन पर अत्यधिक नियंत्रण करने की कोशिश करता है। वह अपने साथी के निर्णयों, गतिविधियों और संबंधों पर नजर रखता है और उन्हें अपनी मर्जी के अनुसार चलाने की कोशिश करता है। कंट्रोलिंग पार्टनर अक्सर अपने साथी को अपनी स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं देता है, जिससे साथी को असहज और दबाव महसूस हो सकता है। ऐसे रिश्तों में अक्सर संवाद की कमी होती है और साथी को अपनी भावनाओं और जरूरतों को व्यक्त करने का अवसर नहीं मिलता है। कंट्रोलिंग पार्टनर के व्यवहार को पहचानना और इससे निपटने के लिए कदम उठाना महत्वपूर्ण है, ताकि रिश्ते में स्वस्थ और संतुलित संबंध बनाए रखा जा सके।
क्या आपका पार्टनर भी करता है कंट्रोल, जानें ये बातें
चकित जानते हैं कुछ ऐसी चीजें जो आपको यह जानने में मदद करेंगी कि आपका पार्टनर कंट्रोलिंग है या नहीं
1.निर्णय लेने में असमर्थता
जब एक पार्टनर दूसरे के निर्णयों पर हावी होने की कोशिश करता है और उन्हें अपनी मर्जी के अनुसार चलाने की कोशिश करता है, तो इससे साथी को अपनी स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं मिलता है। कंट्रोलिंग पार्टनर अक्सर अपने साथी के निर्णयों को लेकर संदेह करते हैं और उन्हें अपनी मर्जी के अनुसार बदलने की कोशिश करते हैं। इससे साथी को असहज और दबाव महसूस हो सकता है, और वे अपने निर्णय लेने में असमर्थ महसूस कर सकते हैं। यदि
2.निगरानी
जब एक पार्टनर दूसरे की गतिविधियों, फोन कॉल्स, मैसेजेस आदि पर नजर रखता है, तो इससे साथी को अपनी निजता और स्वतंत्रता का हनन महसूस हो सकता है। कंट्रोलिंग पार्टनर अक्सर अपने साथी की निगरानी करके उनकी गतिविधियों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं और उन्हें अपनी मर्जी के अनुसार चलाने की कोशिश करते हैं। इससे साथी को असहज और दबाव महसूस हो सकता है, और वे अपने जीवन को स्वतंत्र रूप से जीने में असमर्थ महसूस कर सकते हैं।
3.स्वतंत्रता की कमी
जब एक पार्टनर दूसरे को अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करने नहीं देता है और उन्हें हर समय अपने नियंत्रण में रखता है, तो इससे साथी को अपनी निजता और आत्मनिर्णय का हनन महसूस हो सकता है। कंट्रोलिंग पार्टनर अक्सर अपने साथी को अपने दोस्तों और परिवार से मिलने-जुलने से रोकते हैं, उनके शौक और रुचियों को दबाते हैं और उन्हें अपनी मर्जी के अनुसार चलाने की कोशिश करते हैं। इससे साथी को असहज और दबाव महसूस हो सकता है, और वे अपने जीवन को स्वतंत्र रूप से जीने में असमर्थ महसूस कर सकते हैं।
4. भावनात्मक दबाव
जब एक पार्टनर दूसरे पर भावनात्मक दबाव डालता है, तो इससे साथी को अपनी भावनाओं और जरूरतों को व्यक्त करने में कठिनाई हो सकती है। कंट्रोलिंग पार्टनर अक्सर अपने साथी को दोषी महसूस कराने, उन्हें नीचा दिखाने या उनकी भावनाओं को नकारने की कोशिश करते हैं। इससे साथी को आत्म-संदेह और आत्म-विश्वास की कमी महसूस हो सकती है, और वे अपने पार्टनर की मर्जी के अनुसार चलने के लिए मजबूर महसूस कर सकते हैं।
5.निर्णयों में हस्तक्षेप
जब एक पार्टनर दूसरे के निर्णयों में हस्तक्षेप करता है, तो इससे साथी को अपनी स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय का हनन महसूस हो सकता है। कंट्रोलिंग पार्टनर अक्सर अपने साथी के निर्णयों को लेकर संदेह करते हैं और उन्हें अपनी मर्जी के अनुसार बदलने की कोशिश करते हैं। इससे साथी को असहज और दबाव महसूस हो सकता है, और वे अपने निर्णय लेने में असमर्थ महसूस कर सकते हैं।