A Boy And A Girl Cannot Become Friends: हमेशा से हमने फिल्मों या अपने आस पास के लोगो को देखा है कि एक लड़के का दोस्त सिर्फ लड़का और एक लड़की का दोस्त सिर्फ लड़की हो सकती है। अगर हम हिंदी सिनेमा की बात करे तो शुरू से ही एक लव एंगल को कहानी का आधार बनाकर ही पेश किया जाता रहा है और इसी सोच ने हमारे आपके मन पर बहुत प्रभाव भी डाला हैं। हमारी दादियां- नानियाँ या उनके पूर्वज हो या हमारे माता- पिता हो सब यही सलाह देते थे कि लड़के- लड़कियों को दूर रखा जाए और आज भी कही न कही यह सोच कुछ समुदायों मैं बरकरार हैं।
एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं बन सकते ?
आज के दौर मैं अब यह सोच थोड़ी बदल गई है। लोग अब अलग ढंग से सोचने लगे है। अब पेरेंट्स अपनी समझ का दायरा बढ़ाते हुए और लड़के- लड़कियों के इमोशंस को समझते हुए बदलने को कोशिश करते है। पहले जहां लड़के- लड़कियों को सिर्फ एक नज़र से देखा जाता था वही अब उनको उनके हिसाब से जीने या वह किससे दोस्ती करना चाहते है जैसी चीजों को समझा जाता हैं।
दोस्ती जेसे प्यारे इमोशन को अब सिर्फ जेंडर बेस्ड नही समझा जाता है। आज लड़का और लड़की बिना किसी सेक्सुअल या लव अट्रैक्शन के एक दूसरे के दोस्त बन सकते हैं। कई लोग मानते हैं कि लड़का-लड़की की दोस्ती ज़्यादा देर नहीं टिकती या फिर एक तरफ प्यार हो ही जाता है। मगर ये सिर्फ एक मिथक है। कई शोध बताते हैं कि लड़का-लड़की की दोस्ती न सिर्फ संभव है, बल्कि बहुत फायदेमंद भी हो सकती है।
लड़का और लड़की की दोस्ती एक स्वाभाविक और सामान्य हो सकती है, जिसमें विशेष भावनाएं नहीं होतीं। दोस्ती को समझने के लिए संवेदनशीलता और समर्थन महत्वपूर्ण होते हैं। लड़का और लड़की की दोस्ती आपसी समझ, समर्थन, और विश्वास पर निर्भर करती है।
लड़के और लड़कियों की दोस्ती एक खूबसूरत और सार्थक बंधन है। ये दोस्ती न केवल दोनों को व्यक्तिगत रूप से बढ़ने में मदद करती है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकती है। हमें इस तरह की दोस्ती को खुले दिल से स्वीकारना चाहिए और समाज में इसकी स्वीकृति सुनिश्चित करनी चाहिए। आखिरकार, दोस्ती किसी लिंग से नहीं बंधी होती, ये दिल के रिश्ते होते हैं!