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Why Are These 5 Questions Asked to Women Before Marriage? भारतीय समाज में शादी केवल दो लोगों के बीच का रिश्ता नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन माना जाता है। लेकिन इस पूरे प्रक्रिया में हमेशा दुल्हन बनने वाली लड़की से ही कुछ विशेष सवाल पूछे जाते हैं, जो कहीं न कहीं समाज की मानसिकता को दर्शाते हैं। क्या ये सवाल केवल जिज्ञासा होते हैं या इसके पीछे गहरी सामाजिक सोच छिपी होती है? यह समझना जरूरी है कि क्यों शादी से पहले महिलाओं को इन सवालों का सामना करना पड़ता है और इनका सही जवाब देना कितना आवश्यक है।
शादी से पहले होने वाली बहु से ये 5 सवाल क्यों पूछे जाते हैं?
क्या तुम खाना बनाना जानती हो?
शादी से पहले अक्सर लड़कियों से पहला सवाल यही किया जाता है "क्या तुम खाना बना लेती हो?" यह सवाल केवल खाना बनाने तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें छिपी मानसिकता यह दर्शाती है कि एक बहू का पहला कर्तव्य घर और रसोई को संभालना होता है। लेकिन क्या शादी केवल एक लड़की की जिम्मेदारी होती है? क्या खाना बनाना एक जीवनसाथी की साझा जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए? इस सवाल के पीछे यह अपेक्षा छिपी होती है कि महिला को हर हाल में घर की देखभाल करनी होगी, जबकि पुरुष के लिए ऐसा कोई सवाल नहीं पूछा जाता।
नौकरी करोगी या घर संभालोगी?
समय भले ही बदल गया हो, लेकिन आज भी कई परिवारों में शादी से पहले यह पूछा जाता है कि लड़की शादी के बाद नौकरी करना चाहती है या नहीं। यह सवाल सुनने में सामान्य लगता है, लेकिन इसके पीछे कई बार यह आशंका छिपी होती है कि अगर लड़की नौकरी करेगी, तो घर कौन संभालेगा? क्या शादी के बाद भी महिलाओं को अपनी पसंद और करियर के लिए सफाई देनी पड़ती है, जबकि पुरुषों से कभी नहीं पूछा जाता कि वे घर की जिम्मेदारी किस तरह निभाएँगे?
शादी के बाद हमारे हिसाब से ढल पाओगी?
हर परिवार का अपना एक अलग माहौल और परंपराएँ होती हैं, लेकिन जब यह सवाल लड़की से पूछा जाता है, तो इसका अर्थ होता है कि उसे अपने जीवन को पूरी तरह बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए। क्या यह सवाल लड़कों से भी पूछा जाता है कि वे लड़की के परिवार के हिसाब से खुद को कितना बदल सकते हैं? यह सवाल इस धारणा को दर्शाता है कि शादी के बाद लड़की को ही अपने व्यक्तित्व और जीवनशैली में बदलाव लाने की जरूरत होती है।
घर के बड़े-बुजुर्गों की सेवा कर पाओगी?
संयुक्त परिवारों में यह सवाल बेहद आम होता है। यह सवाल सुनने में भले ही जिम्मेदारी से जुड़ा हो, लेकिन इसके पीछे यह धारणा भी होती है कि घर की देखभाल और बड़ों की सेवा करने का दायित्व केवल बहू का ही होता है। क्या परिवार की देखभाल एक सामूहिक जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए? क्या यह सवाल होने वाले दूल्हे से भी पूछा जाता है कि वह अपने माता-पिता की सेवा करेगा या नहीं?
शादी के बाद माता-पिता से मिलोगी या नहीं?
अधिकतर लड़कियों को शादी के बाद अपने मायके जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है, जबकि लड़कों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं होता। इस सवाल के पीछे कहीं न कहीं यह मानसिकता होती है कि शादी के बाद लड़की पूरी तरह से ससुराल की हो जाती है और उसे अपने माता-पिता से मिलने या उनकी देखभाल करने के अधिकार सीमित कर दिए जाते हैं। क्या यह उचित है कि एक लड़की को अपने ही माता-पिता से मिलने के लिए किसी और की अनुमति लेनी पड़े?
महिलाओं को इन सवालों का सामना क्यों करना पड़ता है?
समाज में आज भी शादी को महिला की पूरी जिंदगी का केंद्र बिंदु माना जाता है। लड़की को अच्छे संस्कारों वाली, समझौतापूर्ण और हर परिस्थिति में ढलने वाली माना जाता है। लेकिन क्या यह सोच आज के समय में प्रासंगिक है? शादी दो लोगों का रिश्ता होता है, जिसमें दोनों को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। ऐसे सवाल न केवल महिलाओं की स्वतंत्रता को सीमित करते हैं, बल्कि यह दर्शाते हैं कि शादी के बाद उनसे क्या अपेक्षाएँ रखी जाएंगी।
क्या अब समय नहीं आ गया कि हम सोच बदलें?
आज की महिलाएँ आत्मनिर्भर हैं, अपने जीवन के फैसले खुद लेती हैं और शादी को अपनी पहचान मिटाने के रूप में नहीं देखतीं। लेकिन जब तक समाज में ऐसे सवाल पूछे जाते रहेंगे, तब तक महिलाओं के प्रति मानसिकता में बदलाव आना मुश्किल है। क्या अब समय नहीं आ गया कि शादी से पहले सवाल केवल महिलाओं से नहीं, बल्कि पुरुषों से भी किए जाएँ? क्या यह जरूरी नहीं कि शादी में बराबरी की सोच को अपनाया जाए? अगर हमें एक बेहतर समाज बनाना है, तो इन सवालों की जगह हमें आपसी समझ, सम्मान और समानता पर ध्यान देना होगा।