Abusive Relationship: महिलाएं आज भी एब्यूज़िव संबंध से क्यों नहीं निकल पाती हैं?

आज भी महिलाओं के लिए किसी एब्यूज़िव संबंध से निकलना मुश्किल है। इसका कारण महिलाओं को मानने के बजाय आइए समझने की कोशिश करते हैं वे कौन से कारण हैं!

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Anamika Jha
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Why Are Women Still Unable To Get Out Of Abusive Relationships:  जब भी हम किसी के टॉक्सिक/ एब्यूज़िव संबंध के बारे में जानते हैं तो हमारे मन में सबसे पहला यही सवाल चलता है कि आख़िर वह महिला ऐसे संबंध से निकल क्यों नहीं जाती? ऐसे संबंध में रहना ही क्यों? लेकिन ऐसा सोच कर हम उस महिला की आपबीती को बिल्कुल दरकिनार कर देते हैं और इस सोच को प्रोत्साहित करते हैं कि संबंध को नहीं तोड़ना उसकी गलती है जबकि इसके पीछे कई कारण होते हैं। ऐसे समय में हमें महिलाओं को जज करने के बजाए उनका साथ देना चाहिए, उनका हौसला बढ़ाना चाहिए। आइए जानते हैं वे कौन से कारण हैं जिसकी वजह से महिलाएं एक एब्यूज़िव संबंध से निकलने में असमर्थ हो जाती हैं! 

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महिलाएं आज भी एब्यूज़िव संबंध से क्यों नहीं निकल पाती हैं? 

1. टॉक्सिक/ एब्यूज़िव व्यवहार का सामान्यीकरण 

अक्सर समाज में पति द्वारा किए गए टॉक्सिक/ एब्यूज़िव व्यवहार को सामान्य माना जाता है, यहां तक कि इसे पति का हक माना जाता है। ऐसे में महिलाओं के लिए अपने रिश्ते को टॉक्सिक / एब्यूज़िव के रूप में पहचानना कठिन हो जाता है और इसलिए मदद लेने का कोई कारण नहीं नज़र आता। 

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2. आत्मसम्मान को चोट 

लंबे समय से निरंतर दुर्व्यवहार का सामना करते रहने से महिलाओं में आत्मविश्वास बिल्कुल खत्म हो जाता है जिससे नए सिरे से शुरुआत करना असंभव लगता है। अपमानजनक रिश्तों में रहने वालों के लिए अपने साथी को छोड़ना मुश्किल होता है क्योंकि उन्हें लगातार यह महसूस कराया जाता है कि वे बेकार हैं और उनके लिए कोई बेहतर विकल्प नहीं है। 

3. दुर्व्यवहार का चक्र 

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अक्सर जब पार्टनर द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है तो उसके बाद वह कुछ अच्छा करता है और माफ़ी मांगता है साथ ही यह वादा भी करता है कि वह ऐसा दोबारा कभी नहीं करेगा। इससे महिलाएं उनके मूल दुर्व्यवहार को भूल कर माफ़ कर देती हैं। 

4. व्यक्तिगत रूप से ख़ुद को ज़िम्मेदार ठहराना 

एक एब्यूज़िव संबंध में अक्सर किसी दुर्व्यवहार के बाद पति द्वारा गलती मानने के बजाय महिलाओं को यह जताया जाता है कि उनके दुर्व्यवहार के pका कारण ख़ुद वो ही थीं। ऐसे में वो ख़ुद को ज़िम्मेदार महसूस करने लगती हैं। 

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5. चीज़ें बदल सकती हैं

टॉक्सिक/एब्यूज़िव रिश्तों में महिलाएं अक्सर यह सोचती हैं कि  वे अपने साथी से प्यार करती हैं और अगर वे डटी रहीं तो आगे जाकर चीज़ें बदल जाएंगी। उन्हें लगता है कि उनके साथी का ऐसा व्यवहार कठिन समय के कारण है या कि अगर वे खुद बेहतर साथी बन जाएं तो वे अपने साथी को बदल सकती हैं। 

6. सामाजिक दबाव 

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एक आदर्श रिश्ते में बने रहने के लिए महिलाएं अक्सर सामाजिक दबाव महसूस करती हैं, क्योंकि बचपन से ही महिलाओं को एक “कुशल गृहणी” बनने का ही अभ्यास कराया जाता है और उनके पास इस से निकलने का कोई विकल्प नहीं रहता। 

7. दूसरे लोगों की प्रतिक्रिया का डर 

एब्यूज़िव रिश्तों में महिलाएं कई बार यह स्वीकार करने में शर्म महसूस करती हैं कि उनका साथी दुर्व्यवहार करता है, क्योंकि उन्हें ‘विक्टिम ब्लेमिंग’ का डर होता है कि सारी गलती का दोष कहीं उनपर ही न ठहराया जाए।

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