Working Women: भारत में हुए वर्किन वुमन या कामकाजी महिलाओं से जुड़े एक शोध में कुछ खास तथ्य सामने आ रहे हैं। भारत के आंध्र प्रदेश के क्रिया यूनिवर्सिटी और वीडियो कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म जूम ने संयुक्त प्रयास से कामकाजी महिलाओं पर शोध किया। शोध का विषय 'हाइब्रिड मॉडल और भारत में महिलाओं का काम' है।
शोध की रिपोर्ट में कई तत्थ सामने आए हैं। शोध से सामने आया कि भारत में महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते हाइब्रिड मॉडल को ज्यादा स्वीकार कर रही हैं। इन महिलाओं की उम्र खासतौर से 33-55 वर्ष की है। वहीं शोध में पाया गया कि 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में स्थिति कुछ भिन्न है। 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं वर्क फ्रॉम ऑफिस को ज्यादा महत्व दे रही हैं।
बता दें कोविड के बाद कामकाज से जुड़ी स्थितियां तेजी से बदली हैं। कोविड महामारी के बाद वर्क फ्रॉम होम का कल्चर और हाइब्रिड कल्चर ज्यादा बढ़ गया है। अब लोग ज्यादातर वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड कल्चर वाले ऑफिस खासतौर से देख रहे हैं। कामकाजी महिलाओं की संख्या इसमें ज्यादा है।
क्या है हाइब्रिड मॉडल
जब कंपनियां हाइब्रिड मॉडल में काम कर रही होती हैं तब वे अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम और वर्क फ्रॉम ऑफिस दोनों से काम करने की सुविधा देती हैं। यही कारण है कि हाइब्रिड कंपनियों को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।
क्या कारण है हाइब्रिड के पीछे
शोध की रिपोर्ट की मानें तो हाइब्रिड कल्चर चुनने के पीछे महिलाओँ से जो तथ्य सामने आएं हैं वो मुख्य रूप से खर्चों में बचत और समय की बचत हैं। महिलाओं की मानें तो हाइब्रिड कल्चर से समय की बचत हो रही है। इसके साथ ही वित्तीय प्रबंधन भी हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 69 फीसदी से अधिक ने वित्तीय प्रबंधन की बात कि जो ऑफिस और अन्य खर्चो की बचत से संभव हो पाया। वहीं 89 फीसदी महिलाओं ने समय की बचत बताया। इसके साथ ही 80 फीसदी ने वर्क फ्लैक्सिबिलिटी की बात की।
दक्षिण और पश्चिम भारत में ज्यादा है चलन
देखा जाए तो हाइब्रिड मॉडल का चलन दक्षिण और पश्चिम भारत में ज्यादा है। गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में इस मॉडल में काम किया जा रहा है वहीं बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे पूर्वी राज्यों में हाइब्रिड मॉडल का चलन कम है। इस तरह शोध ने हाइब्रिड कल्चर पर रिसर्च कर महिलाओं पर उसके पड़ रहे असर को जांचा।