/hindi/media/media_files/HUjlfQpetQCVuANteCUY.jpg)
बच्चे अपने बचपन में बहुत कुछ सीखते हैं। बच्चे बहुत सी चीजें सीखते हुए बड़े होते हैं। इनमें से एक है कॉन्फिडेंस। बच्चों का कॉन्फिडेंट बनना बहुत जरूरी होता है। यह उन्हें हर तरह की मुश्किलों से बिना डरे लड़ने की हिम्मत देता है। यह उनकी पर्सनालिटी को आकर्षक बनाता है।
कॉन्फिडेंस किसी के अंदर अपने आप नहीं आता है। यह बच्चों के आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है। उनके पेरेंट्स उन्हें किस तरह की शिक्षा देते हैं और उनका विकास किस तरह करते हैं यह उनका कॉन्फिडेंस बिल्ड करने में अहम किरदार निभाता है। अगर आप भी पेरेंट्स हैं और अपने बच्चों को कॉन्फिडेंट बनाना चाहते हैं तो आज हम आपके लिए लाए हैं कुछ टिप्स। यह टिप्स आपके बच्चों को बचपन से ही कॉन्फिडेंट बनाने में मदद करेंगी।
1. रोल माडल बने
बच्चे अपने पेरेंट्स से ही सीखते हैं। आप जैसा व्यवहार करेंगे वैसा व्यवहार आपके बच्चे भी अपनाएंगे। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे कॉन्फिडेंट बने तो आपको भी उनके सामने कॉन्फिडेंट बनना होगा। आपको उनके सामने प्रतीत करना चाहिए कि आप सभी परेशानियों से खुशी-खुशी डील कर सकते हैं। बेशक आप अंदर से ऐसा महसूस ना कर रहे हो लेकिन बच्चों के सामने कॉन्फिडेंट रहे।
2. गलतियां करना नॉर्मल है
आपको अपने बच्चे को हमेशा जीतने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए लेकिन उसे हार से मुकाबला करना भी सिखाना चाहिए। आपको बचपन से ही उसे यह समझाना चाहिए कि गलतियां करना नॉर्मल है और हार किसी को मिलती है। लेकिन उससे इस हार से हार नहीं माननी है और अपनी कोशिश जारी रखनी है।
3. नई चीजें सीखने के लिए प्रोत्साहित करे
नई चीजों को सीखने और एक्सप्लोर करने का सफर बचपन से ही शुरू हो जाता है और यह कभी भी नहीं थमना चाहिए। आपको अपने बच्चे को नई चीजों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे उसे हर तरह की परिस्थितियों में मुश्किलों से डील करने में मदद मिलेगी और वह कुछ नया शुरू करने से कतराएगा नहीं।
4. प्रयासों की प्रशंसा करे
बच्चों को मोटिवेट करने के लिए सबसे जरूरी है उनकी प्रशंसा। जब आप उनके सफल प्रयासों की प्रशंसा करते हैं तो वह अधिक प्रयास करने के लिए मोटिवेट होते हैं। अगर आप चाहे तो उनकी छोटी-छोटी कामयाबी के लिए उन्हें रिवॉर्ड भी दे सकते हैं। इससे उनका मनोबल बढ़ेगा और वह और भी ज्यादा कामयाबी पाने के लिए प्रयास करेंगे।
5. पॉजिटिव सोच
आपको अपने बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि दुख और सुख दोनों जिंदगी का बराबर हिस्सा होता है। मगर उन्हें निराश नहीं होना है और पॉजिटिव सोचना है। उन्हें सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना है और परिस्थिति से खुश होकर डील करना।