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Parenthood: गलत सलाह जो बच्चों के पालन-पोषण को बिगाड़ सकती हैं

बच्चों की अच्छी परवरिश बहुत महत्वपूर्ण है। यह उनके संपूर्ण विकास और भविष्य के लिए अत्यंत ज़रूरी है। अच्छी परवरिश से वे स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक रूप से समृद्ध होते हैं।

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Kavya Gupta
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Parenthood (freepik)

(Image Source: freepik)

Bad Advice On How To Raise A Child: बच्चों की अच्छी परवरिश बहुत महत्वपूर्ण है। यह उनके संपूर्ण विकास और भविष्य के लिए अत्यंत ज़रूरी है। अच्छी परवरिश से वे स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक रूप से समृद्ध होते हैं। इससे उनकी स्वाभाविक रुचियों और क्षमताओं का बढ़ावा मिलता है, जो उन्हें जीवन में सफल बनाने में मदद करता है। लेकिन कई ऐसे तथ्य भी हैं जिसमे मासूमों पर जबरदस्ती बंदिशे लगाने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। लेकिन एक सही पेरेंटिंग वही है जिसमे सही मार्गदर्शन, स्नेह और समझदारी के साथ बच्चों को पाला जाता है।

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Parenthood: गलत सलाह जो बच्चों के पालन-पोषण को बिगाड़ सकती हैं

1. पोषण से जुड़ी बेकार बातें

अक्सर बच्चो को क्या खिलाना- पिलाना है उससे जुड़ी सलाह लोग देने से नहीं झिझकते लेकिन, बच्चों को उनके आयु, स्वास्थ्य स्थिति और पसंद के आधार पर आहार प्रदान करना महत्वपूर्ण है। हर बच्चे की आदतें और पसंद अलग होती हैं, इसलिए उन्हें उनकी पसंद के अनुसार भोजन प्रदान करना उत्तम होता है। इसके अलावा, उन्हें स्वस्थ आहार लेने की आदत बनानी चाहिए 

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2. बच्चो को अकेले सुलाना

बच्चे को अपने माता-पिता के पास सोना या दूर सोना के बारे में कोई नियम नहीं है। कुछ परिवार अपने बच्चों को अपने साथ ही सोने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जबकि दूसरे बच्चे को अकेले सोने के लिए। यह परिवार की व्यक्तिगत पसंद और सामाजिक परंपराओं पर निर्भर करता है। कुछ लोग अपने बच्चों को अपने साथ ही सोने के लिए चुनते हैं क्योंकि यह परिवार के लोगों के बीच एकांत और संबंधों को मजबूत कर सकता है। इसके विपरीत, कुछ परिवार बच्चे को अकेले सोने के लिए चुनते हैं ताकि वे अपनी स्वतंत्रता का अनुभव कर सकें।

3. सिर्फ बच्चों को समय दें 

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बच्चों के साथ समय बिताना जीवन का बहुमूल्य हिस्सा होता है और इसे उद्देश्य के रूप में भी माना जा सकता है। बच्चों के साथ समय बिताना उनके विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है, साथ ही परिवारिक संबंधों को मजबूत करने में भी मदद करता है। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि समय का उपयोग समझदारी से किया जाए ताकि बच्चों के साथ समय बिताने के बावजूद अन्य जीवन के पहलुओं पर ध्यान दिया जा सके। संतुलित जीवन के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने समय को विभिन्न क्षेत्रों में वितरित करें, जैसे कि काम, स्वास्थ्य, अपने लिए समय निकालना और परिवार और समाज को देखना।

4. बच्चो पर हाथ उठाना जरूरी है

बच्चों को मारना कभी भी जरूरी नहीं है। बच्चों की शिक्षा और संवाद के लिए सकारात्मक और समझदारी से संबंध बनाना बेहद महत्वपूर्ण है। हाथ उठाना या मारना जैसी क्रियाएं बहुत ही अनकंट्रोलेबल स्तिथि के लिए रखनी चाहिए।उससे पहले जहा तक संभव हो सके बच्चों को समझाना चाहिए। सही नीतियों, सीमाओं और संबंधों के माध्यम से, बच्चों को सही और उचित व्यवहार सिखाना और प्रेरित करना चाहिए।

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5. गोद में रखना 

सही मात्रा में गोद में रखना बच्चों के लिए आवश्यक है। ज्यादा गोद में रखने से उनके अंदर आत्मविश्वास पैदा नहीं हो पाएगा और उन्हे आपकी बहुत आदत पड़ जाएगी। इसके अलावा, यह उनकी सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है।

6. बच्चे को रोने दें

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हमें समझना चाहिए कि कई बार बच्चों को रोने की वजहें नहीं समझी जा सकती हैं। लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि उन्हे रोने के लिए छोड़ दिया जाए। हमें उनके संदेश को समझने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हें समझने के लिए उपयुक्त समय और ध्यान देना चाहिए न कि उन्हे रोते रहने देना चाहिए। रोना बच्चों का एक प्राकृतिक तरीका है अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का। जब हम उन्हें रोने देते हैं, तो हम उनकी भावनाओं को समझने में नाकामयाब रहे सकते है। कई मामलों में यह ठीक भी है लेकिन हमेशा नही।

7. निर्णय न लेने देना

बच्चो को अक्सर उनकी उम्र को ध्यान में रखकर कोई निर्णय नहीं लेने दिया जाता। ये बहुत ही गलत बात है। बच्चों को उनको उम्र और समय के मुताबिक सुरक्षित निर्णय लेने में मदद की जरूरत होती है।बच्चों को निर्णय लेने की क्षमता उनके विकास के लिए बहुत जरूरी है। उन्हें स्वतंत्रता का अनुभव करने देना चाहिए, लेकिन साथ ही उन्हें यह भी सिखाया जाना चाहिए कि उनके निर्णयों के परिणामों का जिम्मेदारी उन्हें ही लेना होगा।

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8. सेक्स एजुकेशन

सेक्स एजुकेशन की बात करना महत्वपूर्ण और आवश्यक विषय है। सेक्स एजुकेशन उन्हें स्वास्थ्य और सुरक्षित जीवन जीने में मदद कर सकता है और उन्हें अपने शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी प्रदान कर सकता है। सेक्स एजुकेशन की शुरुआत बच्चों के उम्र के मुताबिक उचित रूप से की जानी चाहिए। उनके साथ खुले मन से इस विषय पर बातचीत करना उनके समझ और उनकी योग्यता के अनुसार किया जाना चाहिए। सेक्स एजुकेशन की बात करने से बच्चों को सही जानकारी मिलती है, जो उन्हें समय के साथ सेक्सुअलीटी के साथ संबंधित स्वास्थ्य सम्बंधित मुद्दों को समझने में मदद करती है। इसके अलावा, सेक्स एजुकेशन से उन्हें संबंधों, संप्रेमिता और सही और अवैध संबंधों के बारे में समझ प्राप्त होती है।

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