Parenting: पैरेंटिंग यानी बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं है और इस दौरान कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं। अक्सर बच्चों की परवरिश में माता-पिता को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं, पहली बार पैरेंट बने लोगों को तो पता ही नहीं होता कि किस परिस्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देनी है। आइये जानते हैं कि पैरेंटिंग से जुड़ी कॉमन प्रॉब्लम्स क्या हैं और आप किस तरह इनसे निपट सकते हैं?
परवरिश में आने वाली चुनौतियां और सुझाव
आत्मविश्वास में कमी
बच्चे अपने दोस्तों से बात करने या घुलने मिलने में हिचकिचाहट महसूस कर सकते हैं। इसकी एक वजह आत्मविश्वास में कमी भी हो सकती है जो उन्हें अपनी ही उम्र के दूसरे बच्चों से बात करने में रोकती है। इस तरह की परिस्थिति में अपने बच्चे पर ध्यान दें और उसे बाकी बच्चों से खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करें।
नखरे दिखाना
पैरेंट्स को बच्चों को लेकर जो सबसे ज्यादा शिकायत रहती है वो यही है कि बच्चे टैंट्रम यानी नखरे बहुत ज्यादा दिखाते हैं। ऐसे बच्चों के साथ पैरेंट्स को अपना आपा नहीं खोना चाहिए और इन्हें तुरंत कोई प्रतिक्रिया न दें। उन्हें बोलें कि रोना बंद करने पर ही आप उनकी बात सुनेंगे और साथ ही उसे छोटी छोटी बातों के लिए रोकर ज़िद करने से भी रोकने की कोशिश करें।
पढ़ाई में मन न लगना
पचास फीसदी से ज्यादा पैरेंट्स इस बात से सहमत होंगे कि उनके बच्चे पढ़ाई से जी चुराते हैं। पैरेंट्स को उन्हें हर बार डांट डपटकर ही पढ़ाई करने बिठाना पड़ता है। ऐसे बच्चों से पूछें कि अपने स्कूल के बारे में क्या पसंद है और पढ़ाई के बारे में उनमें जिज्ञासा पैदा करने की कोशिश करें।
झूठ बोलना
बच्चे शैतानी करने में भी सबसे आगे होते हैं। बचपन में कई बुरी आदतें लग जाती हैं जिनमें से एक झूठ बोलना भी है। कई बच्चों को झूठ बोलने की आदत लग जाती है जो कि बिल्कुल गलत है। पैरेंट्स को ऐसे बच्चों को झूठ बोलने पर डांटना नहीं चाहिए। बल्की गुस्सा करने की बजाय उन्हें बताएं कि झूठ बोलने से उनका कुछ भला नहीं होगा। उन्हें थोड़ा समय दें और अपनी गलतियों से खुद सीखने का मौका दें।
खाने में आनाकानी करना
इस बात में कोई शक नहीं है कि बच्चों को हरी सब्ज्यिों की बजाय जंक फूड अच्छा लगता है। आप बच्चों को कितना भी मना लो, वो सेहतमंद चीजें खाने से मना कर देते हैं। पैरेंट्स को बच्चों को कुछ भी जबरदस्ती नहीं खिलाना चाहिए। कुछ ऐसा बनाएं जो पौष्टिक भी हो और स्वादिष्ट भी। खाना पकाने में बच्चों की सहायता लेने से भी उनकी रुचि खाने में बढ़ती है।