Helicopter Parenting: हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग (Helicopter Parenting) एक ऐसी पेरेंटिंग स्टाइल है, जिसमें माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में अत्यधिक हस्तक्षेप करते हैं। यह नाम हेलीकॉप्टर की तरह आया है, क्योंकि हेलीकॉप्टर ऊँचाई से देखता है और हर चीज़ पर नजर रखता है, ठीक वैसे ही ये माता-पिता अपने बच्चों के हर कदम और गतिविधि पर निगरानी रखते हैं। ये माता-पिता बच्चों के फैसलों में भी हस्तक्षेप करते हैं और उन्हें हर स्थिति से बचाने के लिए अधिक सतर्क रहते हैं।
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग की लक्षण
1. कंट्रोलिंग रवैया
हेलीकॉप्टर पेरेंट्स अपने बच्चों के जीवन में हर पहलू पर नियंत्रण रखना चाहते हैं। वे बच्चों की पढ़ाई, खेल, दोस्तों से लेकर उनकी भावनाओं तक में हस्तक्षेप करते हैं।
2. अत्यधिक सुरक्षा की भावना
इन माता-पिता का मानना होता है कि बच्चों को हर कठिनाई से बचाना चाहिए, ताकि उन्हें कभी भी असफलता या परेशानी का सामना न करना पड़े।
3. सक्रिय निगरानी
ये माता-पिता बच्चों के स्कूल, खेल और अन्य गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखते हैं। उन्हें लगता है कि यदि वे हर चीज़ पर नियंत्रण रखें, तो उनका बच्चा बेहतर कर पाएगा।
4. निर्णय लेने में मदद
हेलीकॉप्टर पेरेंट्स अक्सर अपने बच्चों के निर्णयों में भी हस्तक्षेप करते हैं, जैसे कि क्या पहनना है, क्या खाना है, किससे दोस्ती करनी है, आदि। उनका मानना होता है कि वे अपने बच्चों के लिए सबसे अच्छा जानते हैं।
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के प्रभाव
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग का बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इससे बच्चों को नकारात्मक असर अधिक होता है।
1. स्वतंत्रता की कमी
जब माता-पिता हर समय बच्चों के साथ रहते हैं और उनके फैसलों में हस्तक्षेप करते हैं, तो बच्चों में स्वतंत्र सोच और निर्णय लेने की क्षमता का विकास नहीं हो पाता। वे समय के साथ अपने आप पर भरोसा करना और गलतियाँ करना सीखने में असमर्थ होते हैं।
2. आत्मविश्वास की कमी
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग से बच्चे आत्मविश्वास की कमी महसूस कर सकते हैं। जब बच्चों को हर छोटी समस्या का हल उनके माता-पिता से मिलता है, तो वे खुद से समस्याओं का समाधान करने की कोशिश नहीं करते। इसका असर उनके आत्म-संवर्धन पर पड़ता है।
3. भावनात्मक दबाव
जब माता-पिता बच्चों पर अत्यधिक ध्यान और उम्मीदें डालते हैं, तो बच्चे मानसिक दबाव का सामना कर सकते हैं। उन्हें लगता है कि वे हमेशा सही तरीके से काम नहीं कर सकते और इससे चिंता, अवसाद और तनाव जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
4. समस्या सुलझाने की क्षमता का अभाव
हेलीकॉप्टर पेरेंट्स बच्चों को समस्याओं से बचाने के बजाय, उनके सामने आने वाली कठिनाइयों से निपटना सिखाते हैं। बच्चों को यह नहीं सिखाया जाता कि असफलता एक सामान्य हिस्सा है और उसे कैसे संभालना चाहिए।
5. स्वावलंबन की कमी
ऐसे बच्चों को हमेशा यह एहसास रहता है कि उन्हें किसी और की मदद की आवश्यकता है। वे अपनी समस्याओं को खुद हल करने के बजाय, दूसरों की मदद पर निर्भर रहते हैं।