How to Comfort Child try these 5 tips: बच्चे अपनी मन की बातें और परेशानियां अपने पेरेंट्स को खुलकर नहीं बताते। कई बार डर से तो कई बार उनके शर्मीले होने की वजह से। ऐसा करने से उनकी बातें मन में दबी रह जाती है और पेरेंट्स को उनकी तकलीफों के बारे में भी नहीं पता लग पाता। ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्चे से इंटरेक्ट करना चाहिए। जिससे वो अपने माता-पिता को अपनी परेशानियों के बारे में खुलकर बता सकें। आईए जानते हैं कुछ ऐसे ही टिप्स जो आपको आपके बच्चे से खुलकर इंटरेक्ट करने में मदद करेगी और आप उनको कंफर्ट भी कर पाएंगे।
बच्चों को कम्फर्टेबल फील कराने के लिए अपनाएं यह 5 टिप्स
1. कम्युनिकेशन
अक्सर माता-पिता अपने काम-काज में होते हुए अपने बच्चों से ज्यादा इंटरेक्ट नहीं कर पाते और ना ही उनसे कम्युनिकेशन खुलकर अच्छे तरीके से हो पता है इससे बच्चों के मन में दूरी बढ़ जाती है और वह अपनी बातें खुलकर अपने माता-पिता से नहीं कहते इसीलिए यह जरूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों से डेली बेसिस पर उनकी दिनचर्या के बारे में कम्युनिकेशन करें।
2. उनकी हर एक बात को सुनें
कई बार ऐसा होता है कि पेरेंट्स अपने बच्चों की बहुत सारी बातें अनदेखा कर देते हैं यह सोचकर कि वह बच्चा है और कुछ भी बोल रहा होगा पर इन्हीं सब बातों में अक्सर उनकी परेशानियां और छिपी हुई बातें पता चलती है कि हर एक बदलती हरकत और बातों को ध्यान से देखें और समझे। उनकी किसी भी बात को सहजता और सब्र के साथ सुनें। जिससे उन्हें यह लगता है कि आप उन्हें अटेंशन दे रहे हैं और आप इंटरेस्टेड हैं तो वह खुलकर अपनी बातें आपको बताते हैं।
3. पेरेंट्स नहीं फ्रेंड्स बनें
यदि हम बच्चों के साथ माता-पिता जैसा व्यवहार करते हैं और उन्हें डांट कर या कठोरता से समझाते हैं तो वह हमसे डरना शुरू कर देते हैं और शेयर करना बंद कर देते हैं। इससे उनके मन में डर बैठ जाता है कि वह जो भी कहेंगे हम उन्हें डांट देंगे। इसीलिए यह जरूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों से फ्रेंड बनकर इंटरेक्ट करें। ऐसा करने से बच्चे अपनी हर बातें शेयर करते हैं।
4. मेमोरीज बनाएं
अक्सर कामकाजी पेरेंट्स अपने वर्क के कारण अपने बच्चों को टाइम नहीं दे पाते। यह जरूरी है कि पेरेंट्स वीकली अपने बच्चों को कहीं घूमाने ले जाए या उनके साथ घर में ही एक्टिविटीज करें। इससे बच्चों के मन में अपने पेरेंट्स को लेकर के मेमोरीज बनती है और वह अपने माता-पिता से खुश भी रहते हैं। यह बहुत जरूरी है की पेरेंट्स का इंटरेक्शन अपने बच्चों के साथ अच्छे से हो और वह दोनों साथ में अधिक से अधिक बिताएं।
5. प्रेशर ना करें
पेरेंट्स अपने बच्चों को पढ़ाई लिखाई या एक स्पेसिफिक करियर के लिए छोटी उम्र में ही प्रेशराइज करना शुरू कर देते हैं। उन्हें बचपन से यह बताते हैं कि तुम्हें बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनना है। इससे उनके मन में फ्यूचर को लेकर के उत्सुकता तो आती है पर डर भी बैठ जाता है। जैसे-जैसे वह बड़े होते हैं उनके मन में यह डर बढ़ता जाता है। क्या वह इस ड्रीम को अचीव कर पाएंगे या नहीं? इससे उनके मन में अपने पेरेंट्स की वजह से एक प्रेशर क्रिएट हो जाता है जो की उनकी भावनाओं को दबा देता है।