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Improve Children Personality: बच्चा बहुत नाज़ुक होता है और अपने बड़ों से बहुत कुछ सीखता है। ऐसे में बच्चों के साथ विशेष सावधानियों रखनी होती हैं। बच्चे पर सबसे ज़्यादा प्रभाव जिसका पड़ता है वो हैं उसके पेरेंट्स। पेरेंट्स ही बच्चों के पहले टीचर होते हैं। बच्चों के साथ बच्चों की तरह पेश आने या कभी-कभार उनको डांटने से बच्चे सही मार्ग पर जाते हैं।
बच्चों की पर्सनेलिटी कैसे बनाएं
- मारे कतई न : बहुत बार माता-पिता अपने बच्चों की ग़लतियों पर आपे से बाहर हो जाते हैं। कुछ माता-पिता अपने बच्चों को मारना शुरू कर देते हैं। ऐसे में ज़रूरी है बच्चों को उनकी ग़लती पर डांटें पर मारे न। बच्चों को मारने पर उन पर ग़लत प्रभाव पड़ सकता है। बच्चों को प्यार से समझाना सबसे बेहतर आप्शन है। तारें ज़मीन पर फ़िल्म में हमने बहुत से ऐसे दृश्य देखे थे जिसमें पिता अपने बच्चे को उसकी ग़लती पर बुरी तरह बर्ताव करते हैं। ऐसा न करें। आख़िर बच्चा आपका ही है।
- झगड़े को कहें न : कभी भी बच्चों के सामने किसी से ऊंची आवाज़ में झगड़े न या किसी भी तरह की अहिंसात्मक गतिविधि न करें। ऐसा इसलिए कि बच्चा आपको कॉपी करता है, आपसे सीखता है। ऐसे में कोशिश करें बच्चों को इन सब चीज़ों से दूर रखें। इसके साथ ही बच्चे को समय-समय पर समझाएं की अहिंसात्मक गतिविधि किस तरह बुरी होती हैं।
- झूठ को कहें न : बहुत बार बच्चे कुछ अपने पेरेंट्स से पूछते हैं तो माता-पिता उन्हें झूठ बोल देते हैं। जब ये बच्चे पहचान लेते हैं तो उन पर बुरा असर पड़ता है। बोले तो वो भी झूठ बोलना शुरू कर देते हैं। ऐसे में ज़रूरी है बच्चों के सामने झूठ न बोलें। आप बच्चों की भाषा में उस चीज़ को बता सकते हैं पर झूठ न बोलें। बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो बचपन की बातें समझने लगते हैं। ऐसे में बचपन से ही उनके साथ अच्छे से रहें।
- जगह-जगह घुमाएं : आप वीकेंड में बच्चों के साथ जगह-जगह घूम सकते हैं। इससे न केवल बच्चे की ओवरऑल पर्सनेलिटी डेवलप होगी बल्कि वो आपको अपने से कनेक्टेड भी पाएगा। आप वीकेंड में बच्चों को नई-नई जगहों, म्यूज़ियम और हिस्टॉरिकल प्लेसिस की विज़िट करा सकते हैं। इससे उसके ज्ञान में वृद्धि होगी। उसका दायरा बढ़ेगा और उसको परिस्थितियों से जूझना आएगा।
- कभी-कभी अकेला छोड़ें : माता-पिता अपने बच्चों के प्रति बहुत पॉज़िसिव होते हैं। ये आगे चलकर बच्चों के लिए ही भायवह हो जाता है। माता-पिता अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ते। बच्चों को थोड़ा-थोड़ा अकेला छोड़े, उसे चीज़ें ख़ुद से करने को दें। इससे उसे प्रॉबलम सॉल्विंग आएगी। हर चीज़ ख़ुद कर लेने से बच्चा देर से सीख सकता है। ऐसे में ज़रूरी है आप बच्चे को बहुत कुछ समय-समय पर सीखने के लिए छोड़ दें।
इस तरह आप देखेंगे कि आपका बच्चा सही तरह काम कर रहा है। आपको कुछ कहने से पूर्व ही वह सब कुछ कर दिखा रहा है।
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