Parenting Tips: माता-पिता और बच्चे का संबंध इस जीवन में सबसे अलग होता है। पेरेंटिंग इस दुनिया का सबसे बड़ा जॉब है। बच्चा वही देखता और सीखता है जैसा उसके पेरेंट्स उसे सिखाते और दिखते है। एक शोध के अनुसार बताया गया है की जिस तरह घर का एनवायरनमेंट होगा बच्चे का बरताव भी बिलकुल वैसा ही होगा। जो बच्चे कॉन्फिडेंट होते है वह स्कूल में या सामाजिक गतिविधियों में अच्छे से परफॉर्म कर पाते है। इसमें पेरेंट्स का सबसे बड़ा रोले होता है क्यूंकि पेरेंट्स अपने बच्चे को कॉंफिडेंट होना सिखाते है।
कई पेरेंट्स अपने सपने पूरे नहीं कर पाते उन्हें अपने बच्चे के उपर डाल देते है। ऐसे में बच्चा खुद जो करना चाहता है वह नहीं कर पता। जो पेरेंट्स अपने बच्चे पर चिल्लाते है उन्हें बात-बात पर डांटते है वह बच्चे विकसित ही नहीं हो पाते हमेशा डरे सहमे रहते है। बचपन ही बच्चो की ग्रोइंग स्टेज होती है। जहाँ हम उनके साथ जैसा रियेक्ट करेंगे वह वैसा ही बनते जाएंगे। हम आपको बताएंगे पेरेंट्स की उन गलतियों के बारे में जिनकी वजह से बच्चों में डेवलपमेंट की कमी आती है।
पेरेंट्स को नहीं करनी चाहिए बच्चों के यह गलतियां
1. नजरअंदाज करना
कई माता पिता अपने बच्चों को नजरअंदाज करते हैं। बच्चों के छोटे-छोटे अचीवमेंट उनके लिए कोई मायने नहीं रखते। पेरेंट्स अपने बच्चों को अचीवमेंट के लिए प्रोत्साहित नहीं करते जिस वजह से वह कॉन्फिडेंट फील नहीं करते। बच्चों के साथ ऐसा करना उनके मानसिक स्तिथि पर असर डाल सकता है।
2. विरोध करना
बच्चा जो भी करना चाहता है पेरेंट्स उसका विरोध करते हैं। उनके फैसले को जज करने लगते है। बच्चे को डिसीजन लेने से रोकते है। जिस वजह से बच्चे आपको सबकुछ बताना छोड़ देते है और कुछ भी गलत या सही डिसीजन खुद ही ले लेते हैं।
3. तुलना करना
पडोसी की बेटी क्लास में फर्स्ट आई है। जैसे बातों से अपने बच्चे को दूसरों से कम्पेयर करते है। उनके कजिन, फ्रेंड्स, पड़ोसियों के साथ कम्पेयर करना बच्चो में गुस्सा पैदा करता है और वह खुदको यूज़लैस फील करने लगते है। जिस वजह से उनका कॉन्फिडेंस लेवल कम होने लगता है।
4. फेवरेट चुनना
आपके दो बच्चे है और आप हर बार किसी एक को अधिक प्रायोरिटी देते है उसे सबके सामने वैल्युएबल बताते है। ऐसा करने से दूसरे बच्चे में नफरत का भाव उत्पन्न होता है और वह अपने भाई या बहन से दुरी बना लेते हैं।
5. प्यार न जताना
पेरेंट्स अपने ही कामों में उलझे रहते है उन्हें अपने बच्चो के साथ समय बिताने का समय ही नहीं होता। वह अपना प्यार अपने बच्चो को नहीं जाता पाते ऐसे में बच्चा अकेला महसूस करने लगता है। हर उस व्यक्ति की बातों में आ जाता है जो उनसे जरा सा प्यार से बात करते है।