Positive Parenting: पेरेंटिंग से जुड़ा एक शब्द है पॉजिटिव पेरेंटिंग । माता-पिता या पेरेंट्स अपने बच्चों केि लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं और करते हैं। इसके लिए वो बहुत से तरीके अपनाते हैं। कभी प्यार तो कभी डांट। बच्चों के लिए प्यार और डांट दोनों एक हद तक सही है, दोनों ही जरूरी हैं। किसी एक का भी बढ़ना बच्चों पर विपरीत असर डाल सकता है।
जब बच्चे टीन एज में आ जाते हैं तो उनमें बहुत से बदलाव आते हैं। टीन एज में बच्चों में बदलाव शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर होते हैं। बहुत से बच्चे टीन एज में संभलना शुरु हो जाते हैं तो अन्य बच्चे बिगड़ना। ऐसे में पेरेंट्स को उन पर बहुत ज्यादा ध्यान देना पड़ता हैॆ। यहीं पर जरूरत होती है पॉजिटिव पेरेटिंग की।
टीन एज बच्चों के लिए पॉजिटिव पेरेंटिंग कैसे करें
टीन एज में बच्चों के लिए पेरेंट्स का साथ बहुत जरूरी हो जाता है। ऐसे में किसी भी तरह की पेरेंट्स की ओर से कही गई बात या कोई प्रयास कई बार बच्चे सही तरह नहीं लेते। आइए जानें टीन एज में पॉजिटिव पेरेंटिंग कैसे करें :-
साथी बन कर काम करें
टीन एज में बच्चों के साथ बहुत से शारीरिक और मानसिक परिवर्तन हो रहे होते हैं। इन्हीं में से एक लक्षण है अकेलापन महसूस होना। ऐसे में जरूरी है माता-पिता या पेरेंंट्स अपने टीन एज बच्चे के साथ हमेशा साथी बन व्यवहार करें। इससे बच्चे पेरेंट्स को बहुत ज्यादा करीब समझेंगे। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेशन के अनुसार इस एज में बच्चे पेरेंट्स से ज्यादा दूरी बना लेते हैं। ऐसे में साथी बनकर काम करने से बच्चे दूरियां बनाने से बचेंगे।
प्राइवेसी का रखें ख्याल
टीन एज बच्चों की उम्र के साथ अपनी जरूरते होती हैं। ऐसे में पॉजिटिव पेरेंटिंग के लिए जरूरी है बच्चों की प्राइवेट स्पेस की जरूरतों को समझते हुए उन्हें पूरा मौका दें। बच्चे की हर बात में हाथ न डालें बल्कि उसको अब कुछ आजादी का एहसास होने दें। इस एज में बच्चा खुद से निर्णय लेने का प्रयास शुरु कर देते हैं। ऐसे में जरूरी है उनके निर्णयों का सम्मान करें और अनावश्यक रूप से रोक-टोक न करें।
सेक्स एजुकेशन पर बात करें
टीन एज में बच्चे पहली बार शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आप में परिवर्तन देख रहे होते हैं। ऐसे में उनके मन में बहुत से सवाल खड़े होने लगते हैं। इस समय पेरेंट्स को चाहिए कि उनके सवालों का उचित जवाब दें। इसके साथ ही उन्हें सेक्स से संबंधित सभी जानकारी दें जिससे उनके साथ किसी तरह का कोई गलत काम न होए और न ही उनसे कोई भूल-चूक होए।
पॉजिटिव पेरेंटिंग टीन एज में अगर मिले तो आगे बच्चों के लिए अच्छा होता है। बच्चों को पेरेंट्स के खिलाफ किसी तरह की शिकायत नहीं रह जाती। बच्चे पेरेंट्स को समझने लगते हैं और पेरेंट्स भी अपने बच्चों को समझते हैं।