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समाज के एक जागरूक सदस्य के रूप में आपको भी अपनी ज़िम्मेदारी का पालन करना चाहिए तथा अपने बच्चों को प्रारम्भ से ही ऐसे संस्कार देने चाहिए जिससे वे आगे चलकर दिव्यांगों के साथ सम्मान के भाव से व्यवहार कर सकें। बच्चे को यह शिक्षा दें कि किसी दिव्यांग का मूल्यांकन उसकी शारीरिक क्षमता से नहीं, बल्कि उसकी सोच, उसकी बुद्धिमत्ता, उसके विवेक और उसके साहस से होनी चाहिए। इसलिए व्यक्ति के शारीरिक सौंदर्य या उसकी आकर्षक शारीरिक बनावट या रंग-रूप को महत्व न देकर उसके ज्ञान, विवेक, हिम्मत और उसके कौशल के आधार पर उसकी महानता देखनी चाहिए।
बच्चे को सिखाएं दिव्यांगों का सम्मान करना -
- आपको अपने बच्चों को बताना चाहिए - उन्हें अपने आस-पास के दिव्यांग व्यक्तियों का उसी प्रकार से सम्मान करना चाहिए जैसे वे सामान्य व्यक्तियों का करते हैं। देखा गया है कि बहुत से बच्चे शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के साथ शरारतपूर्ण हरकतें करते हैं। कभी-कभी बच्चे दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अंधा, लंगड़ा जैसे अपाहिज शब्दों का प्रयोग कर देते हैं। उनकी इस शरारत से दिव्यांग व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक चोट पहुँच सकती है। यदि आपका बच्चा भी ऐसा ही करता है | तो उसे तत्काल रोकें और तत्काल बच्चे को अपराध बोध कराते हुए उस व्यक्ति से माफी माँगने को कहें और भविष्य में ऐसा न करने की Instruction भी दें।
- अगर आपके घर में या पास- पड़ोस में कोई दिव्यांग व्यक्ति है - तो उसके पास भी अपने बच्चों को खुलकर खेलने दें। इससे एक ओर तो उस व्यक्ति को अच्छा लगेगा व दूसरी ओर बच्चे के मन में भी समाज के अन्य दिव्यांग व्यक्ति के प्रति प्रेमभाव पैदा होगी । आप को स्वयं ही अपने बच्चे के सामने आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए तथा दिव्यांग व्यक्ति के साथ कुछ समय अवश्य बिताना करना चाहिए। बच्चा वही करेगा जो आपसे सीखेगा। यदि आप व्यक्तिगत रूप से किसी दिव्यङ्ग बच्चे को जानते हैं , तो ऐसे बच्चों के परिजनों से अपील करें कि वे अपने बच्चों को कभी भी बोझ न समझें और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए स्वतंत्रता के साथ जिंदगी जीने और आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करें। दिव्यांग बच्चों के साथ आम बच्चों जैसा ही व्यवहार करने और उनको सामान्य जीवन जीने के लिए inspire करें।
- अपने बच्चे को इस संबंध में और अधिक जागरूक बनाने के लिए आपको उसे Inspiration फिल्में दिखानी चाहिए - क्योंकि बच्चे स्क्रीन या टेलीविज़न पर चीजों को देखकर उसका अनुसरण करने की कोशिश करते हैं। आपको बच्चों को खाली समय में inspire कहानियों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्हें अनेक ऐसे लोगों की मिसाल दें जिन्होंने अपंगता की परवाह न करते हुए किसी न किसी क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल किया। अष्टावक्र ऋषि या स्टीफेन हाकिन्स का जीवन, हमें एक महान सन्देश देता है | कि दिव्यांगता किसी व्यक्ति की "कमज़ोरी नहीं बल्कि उसकी विशेषता” हो सकती है।
- बच्चों को बताएं कि दिव्यांग भी किसी से कम नहीं है। यदि उनका सही मार्ग दर्शन किया जाए - तो वह भी जिंदगी के हर मुकाम को हासिल कर सकते हैं। एक healthy - prosperous समाज एक लिए जरूरी है | दिव्यांगों को सहानुभूति अथवा तरस के आधार पर न देखा जाए बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए अधिक से अधिक अवसर मुहैया करवाए जाएं।
- हमें अपने बच्चों को समझाना होगा कि दिव्यांग व्यक्ति भी समाज के अंग हैं -और इनके साथ उपेक्षित व्यवहार करने से उनके उत्साह में कमी आती है। लिहाजा दिव्यांग व्यक्तियों के सहयोग के लिए समाज के हर व्यक्ति को सहयोग देना होगा तभी दिव्यांग भी आम लोगों की तरह बेहतर जीवन जी सकेंगे।