छोटे बच्चे अगर घर पर हों तो इंसान कंट्रोल से बाहर चला ही जाता है। ऐसे में आपको गाइडेंस की जरूरत है तो बेफिक्र हो जाएं। बच्चे को उठाने से लेकर उसकी पॉटी साफ करने तक के सभी कामों में आप बहुत थक जाते होंगे। लेकिन आपकी इस थकान का हल लेकर हम आपके पास आए हैं।
माइंडफुल पेरेंटिंग का क्या है मतलब?
छोटे बच्चों के काम करते-करते इंसान अपना आपा खो ही देता है। ऐसे में माइंडफुल होकर पेरेंटिंग करना एक बहुत ही मुश्किल टास्क है। माइंडफूलनेस का मतलब होता है जागरूक होना। आप जिस पल में जी रहे हैं उस पल की आपको हर खबर होनी चाहिए।
माइंडफुलनेस आपके दुनिया को देखने के नजरिए को भी प्रभावित करता है। अपने आज के पल में जागरूक होकर जीने ता यह कंसेप्ट बुद्धिस्ट मेडिटेशन का है।
पेरेंटिंग मे माइंडफूलनेस लाने का एक ही एजेंडा है कि आप अपने बच्चे के व्यवहार या गतिविधियों के बारे में जागरूक हो और उस पर रिएक्ट करें। आपकी अपने पार्टनर के साथ अच्छी बॉन्डिंग आपकी इसमें सहायता कर सकती है।
माइंडफुल पेरेंटिंग की ज़रूरी बातें
जब हम माइंडफुल पेरेंटिंग के बारे में बात करते हैं तो इन तीन चीजों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है -
- अपने आज के पल में जागरूक रहना
- बच्चे के व्यवहार को समझना
- एटीट्यूड - दयालु, स्वीकार, nonjudgemental
यह सब सुनने में तो बहुत अच्छा लग रहा होगा लेकिन क्या आप इसका मतलब जानते हैं?
माइंडफुल पेरेंटिंग करते वक्त आपको इन स्किल्स का विशेष ध्यान रखना चाहिए:
1. सुनना
इसका मतलब है कि आप अपने बच्चे को पूरी अटेंशन दे और उसकी बात को ध्यान से सुने। हो सकता है आप बेहद परेशान हो चुके हैं लेकिन फिर भी आपको धैर्य बनाए रखना है और उन्हें सुनने की कोशिश करनी है। आपके बच्चे के आसपास हो रही हर हरकत का आपको ध्यान होना चाहिए।
2. Nonjudgemental acceptance
नान जजमेंटल एक्सेप्टेंस का मतलब यह होता है कि आप अपने बच्चे की भावनाओं या अपनी भावनाओं को बिना जज किए स्वीकार करें। आपको अपने बच्चे की नासमझी या बचकानी उम्मीदों को बिना जज किए जाने देना है।
3. इमोशनल अवेयरनेस
आपको अपने बच्चे की बातों के पीछे छिपी भावनाओं और इमोशंस को समझना चाहिए। उनके पीछे छिपी असली भावनाओं को जानकर उनकी समस्या पर काम करना चाहिए। किस परिस्थिति को कैसे संभालना है यह समझाने के लिए आपको बच्चे की इमोशनल स्थिति का पता होना चाहिए।
4. खुद पर कंट्रोल
छोटे बच्चों को संभालना बहुत मुश्किल काम होता है। ऐसे में पेरेंट्स थक कर चिड़चिडे भी हो जाते हैं। लेकिन आपको गुस्से में आकर बच्चों पर चिल्लाना या उनके सामने ओवररिएक्ट नहीं करना है। कोई भी प्रतिक्रिया देने से पहले शांत दिमाग से सोचिए। इससे आप ओवरएक्टिंग करने से बच पाएंगे।