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Care of Children's: बच्चा पैदा होने के बाद सबसे पहले क्या करना चाहिए?

पेरेंटिंग: बच्चा पैदा होने के बाद सबसे पहले कुछ जरूरी कदम उठाए जाते हैं, जिनका उद्देश्य शिशु की सुरक्षित शुरुआत सुनिश्चित करना और उसकी सेहत का ध्यान रखना है। ये कदम शिशु के स्वास्थ्य।

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Saniya Naaz
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Child care

(Image credit: Pinterest)

Children Care: बच्चा पैदा होने के बाद सबसे पहले कुछ जरूरी कदम उठाए जाते हैं, जिनका उद्देश्य शिशु की सुरक्षित शुरुआत सुनिश्चित करना और उसकी सेहत का ध्यान रखना है। ये कदम शिशु के स्वास्थ्य, विकास और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। चलिए, जानते हैं कि बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहले कौन-कौन सी चीजें की जाती हैं।

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बच्चा पैदा होने के बाद सबसे पहले किया जाता है ये काम

1. शिशु की सांस की जांच करना

बच्चा पैदा होने के बाद, सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि शिशु सांस ले रहा है या नहीं। जन्म के समय शिशु का श्वसन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता, और उसे सांस लेने में समस्या हो सकती है। इसलिए, डॉक्टर और नर्स शिशु के गले में से अवशिष्ट तरल पदार्थ (जैसे, अमनियोटिक द्रव) निकालते हैं और उसकी सांसों की स्थिति जांचते हैं। यदि शिशु को सांस लेने में कोई समस्या होती है, तो उसे तुरंत उपचार दिया जाता है।

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2. नाभि की डोरी काटना

जब बच्चा जन्म लेता है, तो वह माँ के गर्भनाल (नाभि की डोरी) से जुड़ा होता है, जिससे उसे ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं। डिलीवरी के बाद, डॉक्टर सबसे पहले नाभि की डोरी को काटते हैं। इस प्रक्रिया को "नाभि डोरी काटना" कहते हैं। नाभि डोरी को काटने के बाद, शिशु को माँ से अलग किया जाता है और उसकी देखभाल की जाती है। 

3. शिशु का तापमान नियंत्रित करना

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नवजात शिशु का शरीर बहुत संवेदनशील होता है और उसे ठंडा या गर्म होने का खतरा रहता है। जन्म के बाद, शिशु का शरीर अधिक ठंडा हो सकता है, इसलिए उसे गरम कपड़े पहनाए जाते हैं। इसके अलावा, शिशु को माँ के पास रखा जाता है ताकि उसकी गर्मी बनाए रखी जा सके। यदि आवश्यक हो, तो शिशु को इन्क्यूबेटर (गर्म वातावरण में रखने वाला उपकरण) में भी रखा जा सकता है।

4. पहला स्तनपान (कोलोस्ट्रम)

बच्चे को जन्म के कुछ समय बाद माँ के स्तन से पहला दूध (कोलोस्ट्रम) पिलाया जाता है। कोलोस्ट्रम एक विशेष प्रकार का दूध होता है जो नवजात शिशु के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है। इसमें पोषक तत्व और एंटीबॉडी होती हैं, जो बच्चे को इन्फेक्शन से बचाती हैं और उसकी इम्यूनिटी को मजबूत करती हैं। 

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5. बच्चे की शारीरिक जांच

डॉक्टर शिशु का शारीरिक परीक्षण करते हैं। वह बच्चे का वजन, लंबाई, हड्डियों की स्थिति, त्वचा का रंग और अन्य शारीरिक विशेषताएँ जांचते हैं। डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि शिशु का स्वास्थ्य सामान्य है। यदि शिशु को किसी प्रकार की शारीरिक समस्या या कमजोरी होती है, तो उसका तुरंत इलाज किया जाता है।

6. टीके लगवाना

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बच्चे को जन्म के तुरंत बाद कुछ महत्वपूर्ण टीके लगाए जाते हैं। इनमें बीसीजी (BCG) और पोलियो के टीके प्रमुख होते हैं। ये टीके शिशु को विभिन्न संक्रामक रोगों से बचाने के लिए दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया शिशु की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है।

7. शौच और पेशाब की जांच

बच्चे का पेट साफ़ होना और पेशाब करना भी महत्वपूर्ण होता है। शिशु के जन्म के कुछ घंटे बाद डॉक्टर उसकी पहली मल (मीकोनियम) और पेशाब की स्थिति की जांच करते हैं। यह शिशु के पाचन तंत्र और गुर्दे की कार्यक्षमता का संकेत देता है। यदि शिशु शौच या पेशाब नहीं करता है, तो उसे चिकित्सा सहायता दी जाती है।

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8. माँ और बच्चे का भावनात्मक जुड़ाव

बच्चे के जन्म के बाद, माँ और शिशु का भावनात्मक जुड़ाव स्थापित करना बहुत जरूरी होता है। शिशु को जन्म के तुरंत बाद माँ के पास लाया जाता है ताकि वह उसे देख सके और प्यार से थाम सके। यह भावनात्मक जुड़ाव शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास में मदद करता है। 

9. अस्पताल से छुट्टी और घर लौटना

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जब शिशु और माँ दोनों का स्वास्थ्य ठीक हो जाता है, तो अस्पताल से छुट्टी दी जाती है। डॉक्टर की सलाह पर, शिशु की नियमित जांच होती रहती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह स्वस्थ रूप से बढ़ रहा है। घर लौटने के बाद, माँ और परिवार के सदस्य शिशु की देखभाल और सुरक्षा में विशेष ध्यान देते हैं।

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