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Where Is The Innocence Of Today Children(image credit - unsplash)
Where Is The Innocence Of Today's Children
बचपन की खूबसूरती मासूमियत होती है अगर मासूमियत से बच्चा कुछ भी कहे तो बड़े उनकी बातों को आसानी से मान जाते हैं पर तब क्या हो जब इनकी मासूमियत थी गायब हो जाए
आज के बच्चों में क्यों है इनोसेंस की कमी
इंसान का नेचर हर एक उम्र के बाद बदलता है पर निराशा तब होती है जब उम्र से पहले ही बच्चों में मैच्योरिटी आ जाती है आज हम इस आर्टिकल में वही जाने की कोशिश करेंगे कि बच्चों की इनोसेंस कितने जल्दी कहां जा रही है
एडवांस्ड टेक्नोलॉजी
आज के समय में बच्चों के पास इतनी टेक्नोलॉजी है जिसे इंटरनेट मोबाइल फोंस, लैपटॉप्स जो बच्चों को बहुत से बच्चे और कॉन्सेप्ट से मिला देता है जॉन के उम्र के हिसाब से काफी मैच्योर होता है यह भी एक वजह है जो बच्चों में अब इनोसेंस की कमी दिखती है
मीडिया एक्स्पोज़र
इंटरनेट भी एक बहुत बड़ा साधन है जिससे मीडिया सभी के पास आसानी से पहुंच सकती है इस वजह से मोबाइल फोन के कारण बच्चों के पास ऐसे कंटेंट भी जा रहे हैं जो उनके उम्र से बहुत ज्यादा मेच्योर होते हैं इनका समय से पहले प्रयोग करना बच्चों के इनोसेंट मन पर बहुत बुरा प्रभाव डाल सकता है
सोशल चेंज
सोसाइटी में आ रहे बदलाव के कारण जिसमें फैमिली, सोसायटी और सोसाइटी द्वारा दिया गया पीर प्रेशर भी आता है जो बच्चों के पर्सपेक्टिव और उनके इनोसेंस पर बहुत ज्यादा प्रभाव डाल सकता है, यह कारण हो सकता है कि बच्चे उम्र से पहले ही बड़ों जैसा बिहेव करने लगते हैं
पैरेंटल इनफ्लुएंस
बहुत से पेरेंट्स इंटेंशनली या अनइंटेंशनली भी बच्चों को एक नए सिरे से दुनिया को दिखाते हैं जिसमें वह अपना पर्सपेक्टिव बच्चों को बताते हैं जिस वजह से एक मैच्योर विचार मिलने के कारण वह अपने विचारों को भूल जाते हैं और यह भी हो सकता है कि घर में हो रहे नेगेटिव वातावरण से जो कि किसी भी लड़ाई है झगड़े से उत्पन्न हो सकते हैं उसे वजह से भी बच्चों पर प्रभाव पड़ रहा हो
एजुकेशनल एंपहसिस
एक मॉडर्न एजुकेशनल सिस्टम बच्चों को एक कॉम्पिटेटिव वर्ल्ड के लिए तैयार करना चाहता है जिस वजह से उनको बहुत से ऐसे सब्जेक्ट पहले ही पढ़ते पढ़ते हैं जो उनके उम्र से ज्यादा लेवल के होते हैं यह भी एक कारण है कि बच्चों की इनोसेंस बहुत जल्दी कैसे चली जाती है