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Single Mother Parenting: आखिर क्यों सिंगल मदर को समझा जाता है कमजोर?

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अकेले बच्चे का पालन पोषण करना आसान काम नहीं है। खासकर जब आप एक सिंगल मदर हो। समाज में वैसे ही महिलाओं को लेकर कई प्रतिबद्धताएं हैं ऐसे में अकेले एक बच्चे को पालना काफी मुश्किल हो जाता है। आज हम बात करेंगे कि कैसे हमरा समाज एक सिंगल मदर को कमजोर और बेचारी समझता है। जहाँ एक ओर लड़कियां ओर महिलाएं हर मुकाम पर अपना काम दर्ज करा रही हैं वहीं आखिर यह सोच क्यों है कि सिंगल मदर होना एक औरत को कमजोर कर देता है। क्या जिंदगी में एक पुरुष का साथ ही सबकुछ है। हमे यह सोच बदलनी है। बचपन में पिता, फिर भाई ओर शादी के बाद पति हमारे रिश्ते हैं उन्हें औरतों के लिए एक सहारे की तरह नहीं देखना चाहिए। आज के जमाने की महिला अपने जिंदगी को बागडोर खुद थाम सकती है। 

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Single Mother Parenting: आखिर क्यों सिंगल मदर को समझा जाता है कमजोर? 

अकेले अपने बच्चों को पालना एक मां के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं है। कभी घरवालों के तो कभी समाज के उन्हें न केवल दूसरों के ताने सुनने पड़ते हैं बल्कि बच्चे की पढ़ाई-लिखाई से लेकर उसकी शादी तक की जिम्मेदारी भी केवल अेकेले उन्हीं के कंधे पर होती है। हालांकि, इतना सब करने के बाद भी समस्या तो यह है कि हमारा समाज आज भी सिंगल मदर्स को अच्छी दृष्टि से क्यों नहीं देखता है?

सुरक्षा का प्रश्न 

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बच्चों को लेकर सुरक्षा की कमी अधिकांश मांओं को प्रभावित करती है। जिन महिलाओं के पास सपोर्ट सिस्टम नहीं होता है, उनके लिए यह तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है। समाज अक्सर यह दबाओ डालता है कि शादी के बाद पति का साथ ओर बच्चे को पिता का साया मिलने से आप सुरक्षित हो जायेंगे। आज के समय में आर्थिक आजादी उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अकेले कमाई करने के साथ-साथ उन्हें अपने बच्चों की देखभाल भी अकेले ही करनी पड़ती है। 

आर्थिक तौर पर भी उठते हैं प्रश्न 

हमेशा से यही होता आया है कि पुरुष कमाने जाता है ओर महिला घर पर बच्चे का ध्यान देती है। ऐसे समाज में एक सिंगल मदर होना, मतलब दोनों दायित्वों को अकेले पूरा करने का भार आप पर होता है। इसीलिए समाज सिंगल मोठेर्स को कमजोर समझता है क्योंकि बच्चे को संभालने से साथ साथ बाहर की दुनिया में जाना ओर 4 पैसे कमा कर लाना यह काफी मुश्किल हो जाता है।  

सिंगल मदर को आलोचना का करना पड़ता है सामना 

भारत में सिंगल मदर के साथ अलग तरह का व्यवहार किया जाता है। महिलाएं जहां उनके चरित्र को बुरे नजरिए देखती हैं, तो वहीं मर्द फ्लर्टिंग से लेकर यौन उत्पीडन करते हैं। एक सिंगल मदर को कमजोर मानने के बजाए अगर उसे मजबूत बनाने पर ध्यान दिया जाए, तो समाज भी हमारी ताकतों को समझना शुरू कर देगा। भारत में महिलाओं को लगातार जज किया जाता है। सिंगल मदर के बारें में लोग यह भी मानते हैं कि वह रिश्तों को बनाए रखने में अच्छी नहीं है, इसलिए उनके साथ ऐसा हुआ है। लेकिन इस दौरान यह पूछने वाला कोई नहीं है कि उन्होंने अपने जीवन में क्या कुछ सहा है।

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