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Privacy In Parenting: बच्चों को भी थोड़ी प्राइवेसी क्यों देनी चाहिए?

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Monika Pundir
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भारतीय माता पिता प्राइवेसी या निजता का कांसेप्ट नहीं समझते। वे अपने बच्चों के बारे में हर बात जानना चाहते हैं। वे बिना दरवाज़ा खटखटाए बच्चे के कमरे में घुस जाते हैं। बिना उनसे पूछे अलमारी खोल लेते हैं। यहां तक की, अपनी शादी शुदा बच्चों के कमरे में घुस जाते हैं।

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हर व्यक्ति को एक बेसिक प्राइवेसी का अधिकार है। उन्हें अपनी निजी ज़िन्दगी जीने का हक़ है। इसका यह मतलब नहीं की वे कुछ गलत कर रहे है, जो वे छुपाना चाहते है। बस उन्हें दूसरों की दखल नहीं चाहिए। पर भारतीय परिवारों में ऐसा नहीं होता है।

प्राइवेसी माता-पिता के लिए इतना अनोखा कॉन्सेप्ट क्यों है?

भारतीय माता पिता के लिए पेरेंटिंग और प्राइवेसी साथ साथ नहीं जाती। इसके कुछ कारण है:

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1. पारंपरिक पेरेंटिंग का आईडिया 

 राम अपने माता कौशल्या के कहने पर वनवास चले गए। अनजाने में कुंती के मुंह से निकले कुछ शब्द को आज्ञा मान कर, पांडवों ने द्रौपदी को आपस में बांटने का निर्णय लिया। यह है भारतीय माता पिता की अपने बच्चों से अपेक्षा। हम ऐसा नहीं कह रहे कि बच्चों को अपने माता पिता की बात नहीं सुननी चाहिए। हम यह कह रहे हैं की माता पिता को भी अपने बच्चों की बात सुननी चाहिए। 

2. संयुक्त परिवार और गरीबी 

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भारत में संयुक्त परिवार की प्रथा है, जिसके कारण घर में कमरों से ज़्यादा लोग होते हैं। इसके कारण अक्सर बच्चो को अपने माता पिता या भाई बहन से कमरा, अलमारी, आदि बाटना पड़ता है और प्राइवसी नहीं रहती।

कुछ परिवार इतने गरीब हैं की एक या दो कमरे में 6-7 लोग साथ रहते हैं, जिससे प्राइवेसी की गुंजाइश ही नहीं बचती।

कुछ माता पिता ऐसे घरों से आते हैं, इसलिए वर्तमान में बड़ा घर और अलग कमरे होने के बावजूद वे प्राइवेसी नहीं समझते।

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प्राइवेसी ज़रूरी क्यों है?

प्राइवेसी एक ह्यूमन राइट माना जाता है। बच्चों के लिए भी प्राइवेसी ज़रूरी है ताकि वे अपना पर्सनालिटी डेवेलोप कर सके। प्यूबर्टी के बाद हर बच्चे के कमरे में घुसने से पहले दरवाज़ा ज़रूर खटखटाए। 

प्राइवेसी व्यक्ति को खुद को समझने और पहचानने का समय देता है। रिलेशनशिप्स में प्राइवेसी उस रेलशनशिप को ही मज़बूत करता है। अगर आप अपने बच्चे, या किसी भी रिलेशनशिप में प्राइवेसी और स्पेस देंगे, उन पर भरोसा जताएंगे, वे भी आपके साथ ऐसा ही करेंगे। वे खुद, जब कम्फर्टेबल होंगे, आपके पास आएंगे और बातें शेयर करेंगे।

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प्राइवेसी न देने के बुरे परिणाम:

1. आपके बच्चे बातें छुपाना सीख जायेंगे 

एक कहावत है, जिसका सरल शब्दों में अर्थ है की ताक झांक करने वाले माता पिता, बेहतर झूट बोलने वाले बच्चे बनाते हैं। अगर बच्चा आपसे कुछ छिपाना चाहे, वह आपके पैटर्न याद करके बातें छुपाना सीख ही लेगा।

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2.बच्चे आपसे दूर होना चाहेंगे 

मेरे क्लास में आधे से ज़्यादा बच्चे, शहर से बाहर के कॉलेज के लिए अप्लाई कर रहे थे, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे अपने माता पिता से थोड़ी प्राइवेसी पा सके। यह एक जानी मानी बात है की बच्चे घर से दूर के कॉलेज सिर्फ प्राइवेसी के लिए चुनते हैं 

3. वे आप पर भरोसा नहीं करेंगे 

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अगर आपके बच्चे आपको टाक झांक करते पकड़ ले, वे आप पर भरोसा नहीं क्र पाएंगे। इससे उनके नज़र में आपकी रेस्पेक्ट भी कम हो जाएगी।

प्राइवेसी
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