क्या शादी ही खुशी की कुंजी है? इस परंपरागत सोच को चुनौती देती हैं सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर हर्षिता गुप्ता। हाल ही में ‘The Rule Breaker Show’ में उन्होंने अपनी अनूठी राय रखी।
समाज और फिल्मों ने हमें हमेशा यही बताया है कि जीवनसाथी के बिना खुशी पूरी नहीं होती। लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या खुशी किसी एक रिश्ते तक सीमित है? या फिर यह हमारे भीतर से आती है? हर्षिता गुप्ता इसी सवाल का जवाब ढूंढती हैं।
शादी के बंधन से परे है खुशी? जानिए हर्षिता गुप्ता का अनोखा नजरिया
शादी से परे खुशी की तलाश
हर्षिता ने शो में बताया, "मुझे अरेंज मैरिज की समझ नहीं आती। ज़रूर, बहुत से लोग सोचते हैं कि जीवन बिताने के लिए किसी की जरूरत होती है, लेकिन वो दोस्त भी तो हो सकता है।"
अपने दोस्तों के साथ रहने के अनुभव को साझा करते हुए हर्षिता ने बताया, "हम तीन दोस्त एक फ्लैट में रहते थे। एक दिन मेरी दोस्त ने कहा, 'चलो न्यूयॉर्क में पेंटहाउस खरीदते हैं। हम आज़ाद हैं, राजकुमार भैया को भी साथ ले जाएंगे, दाल-चावल बनाएंगे, ज़िंदगी जियेंगे। शादी की क्या ज़रूरत है?' उस वक्त हमें सही लड़का नहीं मिल रहा था और उम्र के चलते घर वाले भी शादी के पक्ष में नहीं थे।"
हर्षिता ने जोर देकर कहा, "साथ रहना ज़रूरी है, लेकिन वो जीवनसाथी या पुरुष साथी ही नहीं होना चाहिए। दो दोस्त भी बिना शादी के खुशी से रह सकते हैं।"
हर्षिता की बातों ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। कई लोगों ने उनकी बात से सहमति जताई। एक यूजर ने लिखा, "शादी के बिना भी खुशी हो सकती है, ये बात बिल्कुल सही है। समाज ने इस सोच को इतना ज़्यादा बढ़ावा दिया है कि हम उसमें डूबने लगते हैं।"
हर्षिता की राय ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है कि क्या शादी ही जीवन की पूरी खुशी है? या फिर खुशी हमारे भीतर से आती है और उसे किसी खास रिश्ते में बांधना ज़रूरी नहीं।