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कैसे निकलें 'Stereotyped-Boxes' से? रिद्धि डोगरा से सुनिए

रिद्धि डोगरा ने टीवी से फिल्मों में अपने सफर और स्टीरियोटाइप्स से बाहर निकलने की प्रक्रिया को Rulebreaker पॉडकास्ट में साझा किया। जानिए कैसे उन्होंने समाज के बनाए गए बॉक्स से बाहर निकलकर अपने सपनों को आगे बढ़ाया और आत्मविश्वास के साथ खुद को साबित किया।

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Vaishali Garg
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बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री रिद्धि डोगरा ने हाल ही में Rulebreaker पॉडकास्ट में अपनी यात्रा के बारे में खुलकर बात की। इस बातचीत में उन्होंने टीवी एक्टर से फिल्म इंडस्ट्री में अपने सफर के दौरान आई चुनौतियों, समाज द्वारा बनाए गए बॉक्सेस से बाहर निकलने के उपाय, और अपने नजरिए के बारे में बात की।

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कैसे निकलें 'Stereotyped-Boxes' से? रिद्धि डोगरा से सुनिए

टीवी एक्टर के रूप में आने वाली चुनौतियां

रिद्धि ने साझा किया कि फिल्म इंडस्ट्री में टीवी एक्टर को अक्सर एक सीमा में बांध दिया जाता है। उन्हें और उनके साथियों को 'टीवी एक्टर' के टैग के साथ जज किया जाता था। रिद्धि ने इस पर जोर दिया कि उन्होंने कभी भी खुद को इस टैग से बचाने या समझाने का प्रयास नहीं किया।

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"मैं इस पर एक भी मिनट नहीं खर्च करना चाहती थी," रिद्धि ने कहा, "बस आगे बढ़ो और अपने रास्ते पर ध्यान दो।"

समाज के बनाए गए बॉक्सेस से बाहर निकलना

रिद्धि ने बताया कि समाज अक्सर हमें पूर्वनिर्धारित भूमिकाओं में बांधने की कोशिश करता है। उनका मानना है कि ऐसे दबावों को नकारने और खुद को सही तरीके से साबित करने का सबसे अच्छा तरीका है, अपने सपनों और उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहना।

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"लोग आपको बिना जाने ही कई बॉक्सेस में डाल देते हैं," रिद्धि ने कहा, "लेकिन मैं हमेशा यही कहती हूं कि 'मैं सिर्फ मैं हूं, मुझे जानो।'"

दृष्टिकोण और दृढ़ संकल्प से चुनौतियों का सामना

रिद्धि का मानना है कि सपनों को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका है, अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना और समाज के निर्णयों को दरकिनार करना। वह कहती हैं, "अगर आपके पास कोई सपना और दृष्टिकोण है, तो बस उसी का पालन करें। आप कुछ तोड़ नहीं रहे होते, बल्कि अपना रास्ता बना रहे होते हैं।"

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दूसरों को प्रेरित करना

रिद्धि अपनी कहानी के जरिए उन सभी लोगों को प्रेरणा देती हैं जो समाज के बनाए गए दायरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। उनका यह संदेश है कि सफलता तब आती है जब आप खुद को सही मायने में पहचानते हैं और खुद पर विश्वास रखते हैं।

रिद्धि डोगरा का यह सफर दिखाता है कि अपने सपनों के लिए संघर्ष करने और खुद के लिए सही रास्ता बनाने के लिए हमें कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए। उनकी इस यात्रा से हम सीख सकते हैं कि स्टीरियोटाइप्स से बाहर निकलने का पहला कदम खुद को समझना और खुद को सही तरीके से प्रस्तुत करना है।

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रिद्धि डोगरा की यह यात्रा न केवल मनोरंजन उद्योग के लिए बल्कि समाज में मौजूद हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके शब्दों में, "मैं जिंदा हूं, मैं फलना-फूलना चाहती हूं, और मैं अपनी तरह से जीना चाहती हूं।"

आपकी राय क्या है? क्या आप भी समाज के बॉक्सेस से बाहर निकलने के लिए तैयार हैं?

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