कुब्रा सैत ने थेरेपी को बताया सबसे बड़ा तोहफ़ा, जानें क्यों ज़रूरी है मानसिक स्वास्थ्य

The Rulebreaker Show में कुब्रा सैत ने शेयर किया कि कैसे थेरेपी ने उन्हें खुद को समझने में मदद की। जानिए क्यों हर किसी को आत्म-स्वीकृति और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।

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Vaishali Garg
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ज़िंदगी एक रोलरकोस्टर जैसी होती है कभी ऊँचाइयाँ, तो कभी गहरे उतार। सफ़लता के पीछे छिपे संघर्ष अक्सर नजर नहीं आते। The Rulebreaker Show के ताज़ा एपिसोड में एक्ट्रेस कुब्रा सैत ने अपनी पर्सनल जर्नी साझा की, जहाँ उन्होंने बताया कि कैसे थैरेपी ने उन्हें खुद को समझने में मदद की।

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कुब्रा सैत ने थेरेपी को बताया सबसे बड़ा तोहफ़ा, जानें क्यों ज़रूरी है मानसिक स्वास्थ्य

खुद को समझना ही असली तोहफ़ा है

कुब्रा कहती हैं, "खुद को समझने में सालों की थेरेपी लगी। और मुझे लगता है कि ये वही तोहफा है जो हर किसी को खुद को देना चाहिए।"

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कुब्रा को उनके नाम, बालों और आंखों के रंग को लेकर ट्रोल किया गया, लेकिन आज वही चीजें उनकी ताकत हैं। थेरेपी ने उन्हें इन कमज़ोरियों को स्वीकारने और उन्हें अपनी पहचान का हिस्सा बनाने का रास्ता दिखाया।

थेरेपी क्यों है ज़रूरी?

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आज भी समाज में संकोच है, लेकिन कुब्रा की कहानी इस सोच को चुनौती देती है।

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थेरेपी सिर्फ ट्रॉमा से उबरने का तरीका नहीं है, बल्कि ये खुद से जुड़ने, अपनी भावनाओं को मान्यता देने और अपनी सीमाएं तय करने की प्रक्रिया है। वो कहती हैं कि परफेक्शन के पीछे भागने के बजाय हमें अपनी असलियत को अपनाना चाहिए।

फिटनेस और फूड: शरीर से भी जुड़ाव ज़रूरी

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कुब्रा सिर्फ मानसिक नहीं, बल्कि शारीरिक फिटनेस और सही खानपान को भी आत्मबल बढ़ाने के ज़रूरी हिस्से मानती हैं।

एक अच्छा शरीर और स्वस्थ जीवनशैली उन्हें एक्टिव और फोकस्ड रखती है, जिससे वो ज़िंदगी के हर पहलू में संतुलन बना पाती हैं।

समाज के बनाए ढांचे तोड़ना जरूरी है

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हम औरतों को अक्सर समाज के तय मापदंडों में ढाला जाता है क्या पढ़ना है, कैसे दिखना है, क्या पहनना है। लेकिन जब हम अपनी अलग पहचान को अपनाते हैं, तो वहीं से असली हीलिंग शुरू होती है।

कुब्रा का ये सफर इसी बात की मिसाल है कि जब आप खुद को अपनाते हैं, तभी आप दुनिया के सामने मजबूती से खड़े हो पाते हैं।

खुद से प्यार करना ही सबसे बड़ी बहादुरी है

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"अपनी कहानी को अपनाना और खुद से प्यार करना ही असली बहादुरी है।"

कुब्रा की ये लाइन हर उस इंसान के लिए है जो कभी खुद से असंतुष्ट रहा है। थेरेपी, आत्म-स्वीकृति और आत्म-सम्मान मिलकर हमें वो इंसान बनाते हैं जो हम वाकई में हैं।

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