शहाना गोस्वामी ने बताया कि क्यों अब रिश्तों को नए नजरिए से देखने की जरूरत है

रूलब्रेकर शो में शहाना गोस्वामी ने पारंपरिक रिश्तों पर सवाल उठाते हुए शादी, प्रेम और आत्मनिर्भरता पर अपने बेबाक विचार साझा किए। जानिए कैसे बदल रहे हैं आधुनिक रिश्तों के मायने।"

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Vaishali Garg
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अभिनेत्री शहाना गोस्वामी ने हाल ही में Rulebreaker Show के एक एपिसोड में पारंपरिक रिश्तों, प्यार और पहचान पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने बताया कि कैसे आज के दौर में रिश्ते बदल रहे हैं और लोग अब समाज की तयशुदा परिभाषाओं से परे जाकर अपने जीवन को गढ़ रहे हैं।

Rulebreaker Show में शहाना गोस्वामी की बेबाक बातचीत

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शहाना गोस्वामी ने रिश्तों को लेकर अपनी सोच साझा करते हुए कहा, "हमें पारंपरिक रिश्तों के ढांचे को दोबारा सोचने की ज़रूरत है। सदियों से हम एक ही तरह के शादीशुदा संबंधों को बिना सवाल किए आगे बढ़ाते आ रहे हैं।

आज वक्त है कि हम इस पर खुलकर बातचीत करें।" उन्होंने यह भी कहा, "शादी को हमेशा एक एक्सक्लूसिव बंधन के रूप में देखा गया है  जहां दो लोग सिर्फ एक-दूसरे के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, भावनात्मक और शारीरिक रूप से भी। लेकिन क्या कभी इस ढांचे के बाहर किसी विकल्प पर चर्चा हुई है?"

आधुनिक रिश्तों पर शहाना गोस्वामी का नजरिया

आज के समय में लोग ओपन मैरिज, पॉलीअमोरी जैसे विचारों को अपनाने लगे हैं, लेकिन फिर भी समाज में गहराई और संवेदनशीलता की कमी है। शहाना सवाल करती हैं, "क्या हम सच में अपनी जरूरतों को समझ रहे हैं या बस एक तयशुदा ढांचे में जी रहे हैं?" उन्होंने कहा कि अक्सर लोग आदत के चलते ही रिश्तों में आ जाते हैं, बिना यह सोचे कि वे वाकई क्या चाहते हैं और किस हद तक।

अकेलेपन और अधूरेपन के मिथक को तोड़ती हैं शहाना

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शहाना ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि समाज में अब भी अकेलेपन को अधूरेपन से जोड़ कर देखा जाता है। "लेकिन मेरा अनुभव अलग रहा है। दोस्ती मेरे लिए सबसे खूबसूरत रिश्ता रही है बिना किसी शर्त के, सिर्फ भरोसे और प्रेम पर आधारित।" उनका मानना है कि हर दोस्ती अलग होती है, और वही विविधता हमें सिखाती है कि कैसे एक-दूसरे को समझा जाए और साथ बढ़ा जाए।

अपनी कहानियों के नायक बनें

इस बातचीत के जरिए शहाना गोस्वामी ने पारंपरिक रिश्तों और सामाजिक अपेक्षाओं से परे सोचने का संदेश दिया। उन्होंने यह भी साझा किया कि वे ऐसी ही कहानियों को अपनी फिल्मों, जैसे 'संतोष' और 'ज्विगाटो', के माध्यम से पर्दे पर लाना पसंद करती हैं। शहाना का मानना है कि "हर इंसान को अपनी खुद की कहानी का नायक बनना चाहिए, चाहे वह समाज के बनाए ढांचों के खिलाफ ही क्यों न हो।"

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