सालों तक महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे, खासकर मेनोपॉज़, को नज़रअंदाज़ किया गया। इन बातों को या तो चुपचाप सहा गया या ‘ड्रामा’ कहकर खारिज कर दिया गया। लेकिन अब समय बदल रहा है। सोशल मीडिया से लेकर सेलेब्रिटी इंटरव्यूज़ तक, मेनोपॉज़ पर खुलकर बातचीत हो रही है।
मेनोपॉज़ पर खुलकर बात क्यों ज़रूरी है? जानिए शोनाली सभरवाल की सलाह
हाल ही में Rulebreaker Show के एक एपिसोड में न्यूट्रिशनिस्ट शोनाली सभरवाल ने मेनोपॉज़ को लेकर समाज में आ रहे इस बदलाव पर बात की। SheThePeople और Gytree की फाउंडर शैली चोपड़ा से बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे आज की महिलाएं इस सफर को न सिर्फ समझ रही हैं, बल्कि इसे अपनाने लगी हैं।
मेनोपॉज़ और परिमेनोपॉज़: लक्षण, गलतफहमियां और समाधान
शोनाली कहती हैं, "आज महिलाएं सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी आवाज़ बुलंद कर रही हैं। यही बदलाव की सबसे बड़ी वजह है। पहले हमारी माएं मेनोपॉज़ पर बात नहीं करती थीं, लेकिन अब हम करते हैं। अब हमारे पास ज़्यादा जानकारी और ज़्यादा मंच हैं।"
लेकिन क्या हर जानकारी सही है? सभरवाल मानती हैं कि जानकारी की बाढ़ ने कई बार महिलाओं में हेल्थ एंग्ज़ायटी और कन्फ्यूज़न बढ़ा दिया है। हर कोई एक्सपर्ट है, लेकिन सही जानकारी तक पहुंचना एक नई चुनौती बन गया है।
गलत आदतें और मुश्किल मेनोपॉज़ का कनेक्शन
"मेनोपॉज़ एक दिन में नहीं आता," शोनाली कहती हैं। "जो आप अपने 20s या 30s में खाते हैं, जिस तरह का जीवन जीते हैं वो सब आने वाले सालों को प्रभावित करता है।"
वे कहती हैं कि आज की महिलाओं को कम उम्र में ही हॉर्मोनल असंतुलन और तनाव का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से मेनोपॉज़ ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
संतुलित आहार और सजगता से मिलेगी राहत
शोनाली का सुझाव है कि महिलाएं पहले से सजग रहें। "हाइड्रोजेनेटेड फैट, ज़्यादा डेयरी और चीनी से बचें। ऐसा नहीं है कि मेनोपॉज़ सिर्फ एस्ट्रोजेन या प्रोजेस्टेरोन से जुड़ा है ये इंसुलिन और प्रोटीन से भी प्रभावित होता है।"
उनके मुताबिक, संपूर्ण और पोषक आहार जैसे साबुत अनाज, मौसमी फल-सब्ज़ियां, और प्राकृतिक वसा न सिर्फ हॉर्मोन बैलेंस बनाए रखते हैं, बल्कि आने वाले वर्षों में मेनोपॉज़ को आसान बना सकते हैं।
नई सोच, नया संवाद: समाज को भी बदलना होगा
सभरवाल इस बात पर भी ज़ोर देती हैं कि ये संवाद सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए। "पुरुषों को भी मेनोपॉज़ को समझना चाहिए। युवा पीढ़ी को भी इससे जुड़ी बातें पता होनी चाहिए, ताकि वो अपने आस-पास की महिलाओं का बेहतर समर्थन कर सकें।"
मेनोपॉज़ को छुपाइए मत, समझिए और संभलिए
आज जब हर तरफ मेनोपॉज़ की बात हो रही है, तो ये जरूरी है कि हम सही जानकारी, संतुलित जीवनशैली, और खुले संवाद की मदद से इस जीवन-चरण को सहज और सकारात्मक बनाएं।
मेनोपॉज़ कोई अंत नहीं, बल्कि खुद से जुड़ने की एक नई शुरुआत हो सकती है अगर हम खुद को और अपनी ज़रूरतों को समझना सीखें।