Domestic Violence: घरों में होने वाले हिंसा को घरेलू हिंसा यानी Domestic violence कहते है। हमारे समाज में घरेलू हिंसा के मामले बढ़ते ही जा रहे है। दहेज प्रथा घरेलू हिंसा को बढ़ावा देता है, दहेज के नाम पर ससुराल वाले महिला पर आत्याचार करते है वे इतना मजबूर कर देते है के महिला आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाती है। ऐसा नही है के इसे रोकने की कोशिश नही करी गई बल्कि इसके लिए घरेलू हिंसा सरकक्षण अधिनियम 2005, लागू किया गया था। इसके तहत भारत की महिलाएं अपने पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक्शन ले सकती है। चलिए जानते है इससे बचने के उपाय, क्या है कानून
घरेलू हिंसा से बचने के उपाय, जाने क्या है कानून
पुलिस द्वारा मदद
अगर कोई भी महिला घरेलू हिंसा की शिकार होती है तो वे पुलिस की मदद ले सकती है और हालत काबू से बाहर होने पर वे 100 नंबर 1091 पर कॉल कर कर पुलिस की मदद ले सकती है ये एक हेल्पलाइन नंबर है। महिला को अपने साथ हो रही चीजे डिटेल्स में पुलिस को साफ साफ बतानी चाहिए और अपनी लोकेशन भी पुलिस को देनी चाहिए। इसके अलावा महिला सेक्शन 498A के तहत एफआईआर भी फाइल कर सकती है, जब शोषण की सारी हदें पार हो जाए और असहनीय हो जाए तो जरूरी है के आप FIR फाइल करें। महिलाओं को ज़रूरी है के समय आ गया है कि वे जागरूक हो और अपने लिए आवाज उठाए।
राष्ट्रीय महिला आयोग
घरेलू हिंसा से जूझने वाली महिला राष्ट्रीय महिला आयोग में इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती हैं। महिला आयोग में आप इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकते है। आप चाहे तो इसके लिए वेबसाइट पर जा सकते है ncwapps.nic.in पर जाकर और इसके अलावा आप ncw@nic.in पर मेल भी कर सकती है। अगर संपर्क नहीं हो पाए तो आप आयोग में जाकर भी मदद ले सकते है।
घरेलू हिंसा अधिनियम
सेक्शन 18 के तहत घरेलू हिंसा से जूझ रही महिलाएं कोर्ट में प्रोटेक्शन ऑर्डर, रेजिडेंस ऑर्डर, मुआवजा लेने का ऑर्डर मिल सकता है। इसके तहत प्रोटेक्शन ऑफिसर द्वारा महिला को डोमेस्टिक इंसीडेंट रिपोर्ट (DIR) बनवानी होती है। ये वो एप्लीकेशन है जिसे कोर्ट में फाइल किया जाता है।