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5 Common Myths About Female Fertility Busted: महिला प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी को लेकर समाज में कई तरह की गलतफहमियां फैली हुई हैं। इनमें से कुछ मिथक महिलाओं पर अनावश्यक दबाव डालते हैं, तो कुछ उन्हें भ्रमित कर सकते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि हम इन मिथकों की सच्चाई को समझें। आइए जानते हैं महिला फर्टिलिटी से जुड़े 5 आम मिथकों और उनकी सच्चाई।
महिला प्रजनन क्षमता से जुड़े 5 आम मिथक और उनकी सच्चाई
35 के बाद मां बनना मुश्किल या नामुमकिन होता है
यह सच है कि उम्र के साथ महिला की फर्टिलिटी कम होती है, लेकिन 35 के बाद गर्भधारण असंभव नहीं होता। कई महिलाएं 35-40 की उम्र में भी सफलतापूर्वक गर्भधारण करती हैं। हां, इस उम्र में डॉक्टर की सलाह लेना और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना जरूरी होता है।
पीरियड्स नियमित होने का मतलब है कि फर्टिलिटी सही है
पीरियड्स का नियमित होना एक अच्छा संकेत हो सकता है, लेकिन यह महिला की ओवेरियन रिजर्व (अंडों की संख्या) या अंडों की क्वालिटी की गारंटी नहीं देता। कुछ महिलाओं को नियमित पीरियड्स के बावजूद कंसीव करने में दिक्कत आ सकती है, इसलिए सिर्फ पीरियड्स के आधार पर फर्टिलिटी तय नहीं की जा सकती।
गर्भधारण में सिर्फ महिला की फर्टिलिटी मायने रखती है
यह एक आम गलतफहमी है कि प्रजनन से जुड़ी सभी समस्याएं सिर्फ महिला से संबंधित होती हैं। सच तो यह है कि पुरुष और महिला दोनों की फर्टिलिटी गर्भधारण में अहम भूमिका निभाती है। रिसर्च के मुताबिक, लगभग 40-50% मामलों में इनफर्टिलिटी पुरुषों से जुड़ी होती है।
एक बार मां बनने के बाद भविष्य में भी आसानी से प्रेग्नेंसी हो जाएगी
यह जरूरी नहीं कि अगर एक बार महिला ने गर्भधारण कर लिया है तो अगली बार भी उसे कोई समस्या नहीं होगी। उम्र बढ़ने, हार्मोनल बदलाव, जीवनशैली और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण दूसरी या तीसरी बार गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है।
IVF या अन्य तकनीकें 100% सफलता की गारंटी देती हैं
IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) और अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स कई कपल्स के लिए मददगार होते हैं, लेकिन इनकी सफलता की कोई गारंटी नहीं होती। इसकी सफलता महिला की उम्र, हेल्थ कंडीशन और अन्य फैक्टर्स पर निर्भर करती है। इसलिए इन तकनीकों को अंतिम उपाय मानना सही नहीं होगा।
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