कम से कम 1 साल तक के बच्चे को केवल मां का दूध पिलाया जाता है। यह बहुत जरूरी भी है क्योंकि इसकी जगह पर छोटे बच्चे को बाहर का रेडिमेड दूध पिलाना ठीक नहीं। एक छोटे बच्चे के लिए ब्रेस्ट मिल्क के अनेक फायदे होते हैं। उसके पोषण से लेकर उसके विकास तक का इकलौता माध्यम केवल ब्रेस्ट मिल्क होता है। बाहर का रेडिमेड मिल्क ब्रेस्ट मिल्क की जगह कभी भी नहीं ले सकता है।
ब्रेस्ट मिल्क के फ़ायदे -
1. पोषण से भरपूर
ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद पोषक तत्व काफ़ी सिंपल होते हैं जो छोटे बच्चे द्वारा आसानी से अब्जॉर्ब कर लिए जाते हैं। जैसे शुगर और प्रोटीन। यह दोनों पोषक तत्व ब्रेस्ट मिल्क में बहुत ही सिंपल फॉर्म में होते हैं जो एक बेबी के लिए बेस्ट है।
2. दिमाग का विकास
ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद पोषक तत्व बेबी के दिमाग और उसके नर्वस सिस्टम के विकास के लिए अत्यधिक जरूरी है। अगर बच्चे को सही मात्रा में मां का दूध मिलता है तो उसका विकास अच्छा होता है।
3. हेल्थी आंखें
जो बच्चे ब्रेस्ट मिल्क पीते हैं उनकी आंखें और आंखों की रोशनी भी ज्यादा अच्छी होती है। यह मां के दूध में मौजूद फैट की वजह से होता है जो किसी भी और खाद्य पदार्थ में कभी नहीं पाया जा सकता।
4. बीमारियों से लड़ने के क्षमता
ब्रेस्ट मिल्क में ऐसे बहुत से तत्व होते हैं जो बच्चे को बीमारियों से बचाते हैं। यह इंफेक्शन फैलाने वाले वायरस और बैक्टीरिया से लड़ते हैं और बच्चे को हेल्दी रखने में मदद करते हैं। मां का दूध पीने वाले बच्चों को पाचन तंत्र, फेफड़ों और कान से संबंधित इंफेक्शन भी कम होते हैं।
5. Premature birth के लिए फायदेमंद
जिन बच्चों का जन्म वक्त से पहले हो जाता है उसे प्रीमेच्योर बर्थ कहते हैं। इन बच्चों को अगर ब्रेस्टफीडिंग कराई जाए और उन्हें ब्रेस्ट मिल्क मिले तो उनमें आंतों का इन्फेक्शन होने का खतरा भी कम होता है।
6. SIDS से बचाव
इस सिंड्रोम के कारण छोटे बच्चों की अचानक से मृत्यु हो जाती है। लेकिन ब्रेस्ट मिल्क पीने वाले बच्चों में यह सिंड्रोम होने का खतरा कम होता है।
7. अस्थमा
ब्रेस्ट मिल्क का सेवन करने से बच्चे को अस्थमा और स्किन से संबंधित समस्याएं कम होती हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ रेडिमेड दूध पीने वाले बच्चों को दूध से भी एलर्जी हो जाती है।
8. डायबिटीज और ओबेसिटी
बच्चों की भविष्य में कैसी ग्रोथ होगी यह उनके बचपन पर निर्भर करता है। अगर बच्चों को बचपन में ब्रेस्ट मिल्क पिलाया जाए तो बड़े होकर उन्हें सेहत संबंधी समस्याओं जैसे डायबिटीज और ओबेसिटी का सामना कम करना पड़ता है।