अब लोगों में इसको लेकर काफी जागरुगता है। लेकिन हमेशा से लोग धूप के दुष्प्रभाव को लेकर इतना जागरुक नहीं थे। मनुष्य सूर्य की धूप के साथ विकसित हुआ है। धूप लोगों के लिए एक मार्गदर्शक है।
धूप से स्किन पर क्या असर पढता है?
होमो सेपियन्स ने अपना अधिकतर जीवन धूप में ही बिताया है। मानव त्वचा परिस्थिति के हिसाब से खुद को ढाल लेती है। एक व्यक्ति के जीवनकाल के दौरान उसकी त्वचा कई तरह से सूर्य के संपर्क में आती है और उससे प्रभावित होती है। हमारी त्वचा में यूमेलानिन नामक एक सुरक्षात्मक रंगद्रव्य होता है। यह मानव त्वचा के धूप के संपर्क में आने पर प्रतिक्रिया करता है।
त्वचा की ऊपरी परत जिसे एपिडर्मिस कह जाता है वह धूप के सीधे संपर्क में आती है। अगर हमारी त्वचा ज्यादा तेज धूप या लंबे समय तक धूप के संपर्क मे आती है तब यूमेलानिन का ज्यादा उत्पादन होता है। जिस कारण सनबर्न होता है और त्वचा काली पड़ जाती है। यूमेलालिन अल्ट्रावायलेट किरणें एब्जॉर्ब करता है और हमें सुरक्षित रखता है।
अपने जींस (Genetic) के आधार पर लोगों की यूमेलानिन उत्पादन की क्षमता अलग-अलग होती है। धूप की क्षमता के मुताबिक हमारी त्वचा परिवर्तित होती है। अधिक धूप होने पर मेलानिन का उत्पादन ज्यादा होता है और कम धूप में इसका उत्पादन कम रहता है। यही वजह हैं कि गर्मी में यूमेलानिन के ज्यादा उत्पादन के कारण हमारी त्वचा काली हो जाती है। जो कभी - कभी दर्दनाक भी होता है और लंबे समय तक धूप के संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा भी रहता है। इसलिए धूप से त्वचा का बचाव जरूरी है।
क्या सांवली स्किन को सनस्क्रीन लगानी चाहिए
अगर आपकी त्वचा साँवली है तब भी आपको धूप से बचाव की जरूरत है। क्योंकि हर कोई सूरज के सीधे संपर्क में आने से होने वाले नुकसान के लिए असंवेदनशील होता है। धूप से होने वाले सनबर्न त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाते है और कभी-कभी तो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर देते हैं।
लोगों को धूप पसंद हो सकती है। लेकिन बदलते वातावरण के साथ मनुष्य का सूर्य से रिश्ता भी बदल गया है। इसलिए आपका अपनी त्वचा का सूर्य से बचाव करना आवश्यक है। इसलिए जितना हो सके ज्यादा समय तक धूप में रहना कम करे और समय समय पर अच्छे सनस्क्रीन का प्रयोग करते रहना चाहिए।