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Phases of pregnancy Photograph: (Freepik)
Different phases of pregnancy: प्रेग्नेंसी, एक महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और सुंदर अनुभव होता है, जिसमें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक, भावनात्मक और हार्मोनल बदलाव भी आते हैं। ये लगभग 9 महीने की एक लंबी जर्नी होती है, जो तीन चरणों में बटी होती है – पहला ट्राइमेस्टर, दूसरा ट्राइमेस्टर और तीसरा ट्राइमेस्टर। हर ट्राइमेस्टर में माँ और पेट में पल रहे बच्चे के विकास में बहुत से बदलाव आते हैं।
पहले फेस में जहाँ गर्भ ठहरने और हार्मोनल बदलावों की शुरुआत होती है, वहीं दूसरे फेस में शिशु का विकास बहुत तेज़ी से होता है और माँ को थोड़ी राहत महसूस होती है। तीसरे और लास्ट फेस में शरीर बच्चा पैदा करने की तैयारी करता है और शिशु जन्म के लिए पूरी तरह तैयार होता है। इन सभी चरणों में महिलाओं को न केवल मेडिकल देखभाल की आवश्यकता होती है, बल्कि इमोशनल सपोर्ट की भी जरूरत पड़ती है और पोषण से भरपूर खाना भी उतना ही जरूरी होता है। आइए, विस्तार से जानते हैं प्रेग्नेंसी के इन अलग-अलग फेस के बारे में।
जाने क्या हैं अलग अलग फेस प्रेग्नेंसी के
1. फर्स्ट ट्राइमेस्टर (0–12 हफ्ते तक)
इस फेस से प्रेग्नेंसी की शुरुआत होती है जिसे फर्स्ट ट्राइमेस्टर कहते हैं। इसमें महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं जिससे हार्मोनल चेंजेस होते हैं। ये शुरू होता है पहले हफ्ते से लेकर और 12 हफ्ते तक चलता है। इसमें महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस, मूड स्विंग, ब्रेस्ट भरी लगना जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस फेस में एंब्रियो बनता है और दिल की धड़कन शुरू हो जाती है।
2. दूसरा ट्राइमेस्टर (13–26 हफ्ते तक)
इस फेस में उल्टी, मॉर्निंग सिकनेस और मूड स्विंग जैसी समस्याएं कम हो जाती हैं इसीलिए ये ज़्यादा आरामदायक माना जाता है। एनर्जी लेवल बढ़ जाता है महिलाओं में जिससे शरीर में फुर्ती आ जाती है। एंब्रियो इस फेस में बड़ा हो जाता है और मूवमेंट पता चलने लगती है जैसे किक। बच्चा पूरी तरह विकसित हो जाता है और हिलने डुलने लगता है। इस फेस के दौरान कैल्शियम, प्रोटीन और ईरान के सप्लीमेंट लें अपने डॉक्टर से पूछ कर।
3. तीसरा ट्राइमेस्टर ( 27– डिलीवरी तक)
ये प्रेग्नेंसी का लास्ट फेस होता है जिसमें बच्चा पूरी तरह से विकसित हो जाता है और शरीर डिलीवरी के लिए तैयार हो जाता है। इसमें पेट तेज़ी से बढ़ने लगता है, बार बार यूरिन आना, सांस फूलना, नींद न आना जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। इस फेस में बच्चे का सर नीचे की ओर आ जाता है जो डिलीवरी का साइन है। डॉक्टर के रेगुलर विजिट करें और अपनी डिलीवरी समय से प्लान करें। ब्लड और शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें और मेंटल प्रेशर न लें ज़्यादा।