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Photograph: (File Image )
Disadvantages of Sleeping Too Much : नींद हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमें पर्याप्त नींद लेनी चाहिए यदि हम जरूरत से ज्यादा देर तक सोते हैं, तो यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति लगातार 9 घंटे से ज्यादा सो रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि शरीर में कुछ गड़बड़ चल रही है या यह आदत कई बीमारियों को जन्म दे सकती है।
ज्यादा देर तक सोने से सेहत को क्या नुकसान हो सकता है
1.मोटापा बढ़ने का खतरा
बहुत ज्यादा सोने से हमारी शारीरिक गतिविधियाँ कम हो जाती हैं, जिससे कैलोरी बर्न नहीं हो पाती और शरीर में फैट जमा होने लगता है। इसका नतीजा यह होता है कि मोटापा तेजी से बढ़ता है, जो बाद में कई अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है।
2.हृदय रोगों का जोखिम
एक अध्ययन में यह पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से 9 घंटे से ज्यादा सोते हैं, उन्हें दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। यह उनके ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी प्रभावित कर सकता है। ज्यादा देर तक सोने वाले लोग अक्सर कम एक्टिव रहते हैं और उनकी जीवनशैली अधिकतर सुस्त होती है, जिससे हृदय को स्वस्थ रखने वाली गतिविधियों में कमी आती
3.मधुमेह का खतरा
लंबी नींद का हमारे शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता पर गहरा असर पड़ता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। जब हम जरूरत से ज्यादा सोते हैं, तो हमारे शरीर में ग्लूकोज के मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिससे रक्त में शुगर का स्तर असामान्य हो जाता है। इसके अलावा, जो लोग ज्यादा सोते हैं, वे आमतौर पर शारीरिक गतिविधियों में कम भाग लेते हैं, जिससे कैलोरी बर्न नहीं हो पाती और वजन बढ़ता है।
4.सिरदर्द और पीठ दर्द
ज्यादा देर तक एक ही स्थिति में सोने से मांसपेशियों में अकड़न आ सकती है, जिससे सिरदर्द या पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। लंबे समय तक सोने से गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ जाता है, विशेषकर तब जब तकिए या गद्दे का सहारा सही नहीं हो। इससे रीढ़ की प्राकृतिक स्थिति बिगड़ सकती है।
इसके अलावा, जब हम बहुत देर तक सोते हैं, तो मस्तिष्क में सेरोटोनिन और न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में असंतुलन हो सकता है, जो माइग्रेन या सामान्य सिरदर्द को ट्रिगर कर सकता है। दिनभर थकावट और भारीपन भी महसूस हो सकता है।
5.मानसिक स्वास्थ्य पर असर
ज्यादा सोना डिप्रेशन और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं से जुड़ा हो सकता है। यह दिनभर थकान, आलस्य और एकाग्रता की कमी को भी जन्म देता है। जब हम सामान्य से अधिक समय तक सोते हैं, तो मस्तिष्क का न्यूरोकेमिकल संतुलन प्रभावित होता है, जिससे मूड स्विंग्स और निराशा की भावना बढ़ सकती है।
इसके अलावा, अत्यधिक नींद अक्सर जीवन की नियमितता को बिगाड़ देती है — जैसे देर से उठना, कामकाज या पढ़ाई में देरी, और सामाजिक गतिविधियों से दूरी। ये सभी कारक मानसिक अकेलेपन और उदासी को बढ़ावा दे सकते हैं।