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Vaginal Health At Every Age: वजाइनल हैल्थ में आते हैं यह बदलाव

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उम्र के साथ आपके शरीर और हेल्थ में बहुत से बदलाव आते हैं। यह बदलाव आपकी स्किन से लेकर आपके वजाइना तक में आते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि बाहरी बदलावों को आप देख सकते हैं जबकि आंतरिक बदलावों को देखना मुमकिन नही। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह हैं ही नहीं।

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वजाईना महिलाओं का रिप्रोडक्टिव ऑर्गन है जो सॉफ्ट टिशु से बना होता है। इसकी ओपनिंग वुलवा में होती है। वजाईनल कैनाल वुल्वा को सर्विक्स से जोड़ता है। पूरे शरीर की तरह ही वजाइना मे भी उम्र के साथ अनेक बदलाव आते हैं। इसलिए इसे हेल्दी रखने के लिए आपको पता होना चाहिए कि कब आपके वजाइना मे किस तरह के बदलाव आते हैं। 

20 मे वजाइनल हैल्थ 

कहते हैं कि 20s हमारी जिंदगी का सबसे खास और अच्छा वक्त होता है। यह केवल हमारे लिए ही नहीं बल्कि वजाइना के लिए भी बेस्ट समय होता है। इस दौरान सेक्स हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, टेस्टोस्टेरोन, आदि अपनी पीक पर होते हैं और लोग सेक्सुअल गतिविधियों को एक्सप्लोर करते हैं। एस्ट्रोजन हमारे वजाइना को इलास्टिक, एसिडिक और लुब्रिकेटेड बनाए रखता है। 

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अपनी 20s में आपको बहुत सी चीज़ों का अनुभव करने को मिलता है। लिपिडो अपनी चरम सीमा पर हो सकता है। अगर आप सेक्शुअली एक्टिव हैं तो आप UTI से संक्रमित भी हो सकते हैं क्योंकि सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान बैक्टेरिया वजाइना से युरेथरा तक पहुंच जाते हैं। UTI संक्रमण से बचने के लिए सेक्स के बाद जितनी जल्दी हो सकते आपको पेशाब करना चाहिए। इससे बैक्टीरिया के पेशाब के साथ बाहर निकलने के चांस होते हैं जिससे संक्रमण की संभावना कम हो जाती है। 

आप इस बात से परिचित होंगे कि वजाइना के पास अपना खुद का क्लीनिंग सिस्टम होता है। यह कुछ ऐसे पदार्थ रिलीज करता है जो वजाइना की सफाई कर देते हैं। इस दौरान वजाइना कुछ सफेद डिस्चार्ज करता है। आपके शरीर में होने वाला हार्मोनल बदलाव इस डिस्चार्ज को प्राभावित कर सकते हैं। अगर आपको सेक्स के दौरान दर्द, खुजली, बदबू, आदि जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं तो इसका मतलब आपको अपनी वजाइनल हेल्थ पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

30 मे वजाइनल हैल्थ

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30s के दौरान महिलाओं में अनेक हार्मोनल बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। अगर आप प्रेग्नेंट हो जाती है तो वजाइनल डिस्चार्ज बढ़ सकता है और थोडा दूधिया रंग का दिखने लग सकता है। इसमें थोड़ी सी गंध भी आ सकती हैं लेकिन याद रहे कि यह हरा, पीला, या गंदी बदबू वाला नहीं होना चाहिए।

प्रेग्नेंसी 30s में महिलाओं में आने वाले मुख्य बदलावों का कारण बनता है। एक बच्चे को जन्म देने के बाद सर्विक्स का साइज बड़ा हो जाता है जिसके कारण 30 से ज्यादा उम्र की महिलाओ के लिए बड़े साइज का मेंस्ट्रुअल कप भी निर्मित किया जाता है। प्रेग्नेंसी के कारण वजाइना अपना लचीलापन खो सकता है और थोडा स्ट्रेच भी हो सकता है। लेकिन कुछ वक्त बाद यह अपने पहले जैसे साइज मे वापस आ जाता है। 

Kegel exercise आपकी पेल्विक फ्लोर मासपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकती हैं। ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल करने से वेजाइनल डिसचार्ज से जुड़ी समस्याएं जैसे अधिक वेजाइनल डिसचार्ज, वेजाइनल ड्राइनेस और ब्लीडिंग हो सकती हैं। यह लक्षण अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर यह अपने आप कुछ वक्त मेरी कदर ना हो तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

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40s में वजाइनल हैल्थ

40s में मेनोपॉज एक आम बात है। आप इस वक्त में मेंस्ट्रूएट करना बंद कर देते हैं। आपका वजाइना कई बड़े बदलाव से गुजरता है। आपके शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम होने लगता है और आपका वजाइना कई समस्याओं से जूझता है। जैसे वजाइना में जलन, दर्दनाक सेक्स, खुजली, वजाइनल डिस्चार्ज, वजाइनल कैनाल का छोटा होना, आदि। 

नियमित रुप से सेक्स करने से इनमें से कई समस्याएं सुलझ सकती हैं। वजाइनल ड्राइनेस के कम करने के लिए बाजार में कई बेहतरीन प्रोडक्ट भी आ चुके हैं। आप नारियल के तेल को भी ल्यूब के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह एक प्राकृतिक लुब्रिकेंट है। या आप एस्ट्रोजन टैबलेट का सेवन भी कर सकते हैं। यह आपके शरीर में एस्ट्रोजन की कमी को पूरा करके आपके वजाइना की हेल्थ को बेहतर बनाता है।

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आपकी 40s में आपके प्यूबिक हेयर पतले हो जाते हैं और ग्रे भी हो सकते हैं।

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