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Excessive Sweating Effects: ज्यादा पसीना मतलब हो सकती हैं यह बीमारियां

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अगर आपको भी जरुरत से ज्यादा पसीना आता है तो शायद यह कई तरह की बिमारियों की वजह भी हो सकता है। किसी को भी पसीना होना या आना बॉडी का बहुत ही कॉमन प्रोसेस है। जब शरीर का तापमान बढ़ता है तो ऐसे शरीर खुद को कूल डाउन करने के लिए पसीने को निकालता है। गर्मी के कारन, आजकल में मानसून में उमस के मौसम में पसीना आना कॉमन है। इतना ही नहीं, एक्सरसाइज करते समय, धूप में घूमते समय व्यक्ति को पसीना आता है। क्योंकि उस वक़्त शरीर का तापमान बढ़ा हुआ होता है। लेकिन इस सभी स्थितियों से परे, अगर आपको जरुरत से ज्यादा पसीना आता है कि आपको यह बहुत अजीब लगे तो यह परेशानी की बात हो सकती है।   

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Excessive Sweating Effects: ज्यादा पसीना मतलब हो सकती हैं यह बीमारियां

डायबिटीज हाइपोग्लाइसीमिया

डायबिटीज हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है जब डायबिटिक पर्सन के ब्लड में एवरेज शुगर यानि ग्लूकोज नहीं बनता है। ग्लूकोज शरीर और मस्तिष्क के लिए ईंधन का सोर्स है, ऐसे में अगर यह पर्याप्त मात्रा में नहीं है तो इससे आपके शरीर की कार्यप्रणाली सही तरह से काम नहीं करती है। जिन व्यक्ति को यह समस्या होती है, उन्हें आवश्यकता से अधिक पसीना आता है। यहां तक कि रात में पसीने के कारण चादरें या कपड़े भी नम हो जाते हैं। हालांकि, ऐसे लोगों को बुरे सपने, जागने पर थकान, चिड़चिड़ापन या भ्रम की स्थिति का सामना भी करना पड़ सकता है।  

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हाइपरथायरायडिज्म 

हाइपरथायरायडिज्म तब होता है जब आपकी थायरॉयड ग्लैंड बहुत अधिक हार्मोन थायरोक्सिन का उत्पादन करती है। हाइपरथायरायडिज्म आपके शरीर के डाईजेस्टिव  को तेज कर सकता है, जिससे अचानक से वजन कम हो सकता है और दिल की धड़कन तेज या अनियमित हो सकती है। जब व्यक्ति हाइपरथायरायडिज्म से पीड़ित होता है तो ऐसे में व्यक्ति को वेट लॉस के अलावा हीट के प्रति सेंसेटिविटी भी बढ़ सकती है। इतना ही नहीं, व्यक्ति को बहुत पसीना भी आता है और भूख भी बढ़ती है।

ल्यूकेमिया

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ल्यूकेमिया बॉडी के ब्लड बनाने वाले टिश्यू का कैंसर है, जिसमें बोन-मैरो और लिम्फेटिक सिस्टम शामिल हैं। ल्यूकेमिया में आमतौर पर वाइट ब्लड सेल्स शामिल होती हैं। आपकी श्वेत रक्त कोशिकाएं शक्तिशाली संक्रमण से लड़ने वाली हैं, वे सामान्य रूप से बढ़ती हैं और एक व्यवस्थित तरीके से विभाजित होती हैं, क्योंकि आपके शरीर को उनकी आवश्यकता होती है।

मेनोपॉज

मेनोपॉज वह समय है जब महिला का पीरियड साइकल खत्म होने लगता है। मेनोपॉज का पीरियड हर महिला के लिए अलग होता है, लेकिन औसतन यह महिला में 40 या 50 के दशक में हो सकती है। यह एक नेचुरल बायोलॉजिक प्रोसेस है और इस दौरान महिला को अपने शरीर में कई बदलाव नजर आते हैं। इस अवस्था में हॉट फ्लैशेज की समस्या होती है और महिला को बहुत अधिक पसीना आता है। इसके अलावा, महिला की नींद भी डिस्टर्ब होती है, जिससे महिला को ऊर्जा का स्तर कम महसूस होता है।

मेनोपॉज
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