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Health Tips: ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े पांच मिथ जो महिलाओं को जानना जरूरी

मां का दूध बच्चों के लिए सबसे पहला और सबसे जरूरी चीज माना गया है। मां के दूध में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल एलिमेंट्स भरपूर मात्रा में होते है, जो शिशु को कई तरह के बीमारियों से बचाते हैं। जानते है ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित कुछ मिथ।

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Srishti Jha
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Breastfeeding women

Image credit: Bravado Design

Five myths related to breastfeeding which all women need to know: मां का दूध बच्चों के लिए सबसे पहला और सबसे जरूरी चीज माना गया है। मां के दूध में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल एलिमेंट्स भरपूर मात्रा में होते है, जो शिशु को कई तरह के बीमारियों से बचाते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार बच्चों को दूध पिलाने से न केवल बच्चे का स्वस्थ्य अच्छा रहता है, बल्कि मां के स्वास्थ पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। छः माह से कम के बच्चों को कुपोषण से बचाने में मां का दूध एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन आज कल कई कारणों के वजह से माएँ अपने नवजात शिशु को अपना दूध नहीं पिलाती है, जिससे शिशु के विकाश की गति भी धीमी होती है और वह जल्द ही कई बीमारियों के चपेट में भी आ जाता है। आइए जानते है ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित कुछ ऐसे ही मिथ के बारे में जिस पर माएँ आसानी से भरोसा कर अपने बच्चों को दूध पिलाने से बचती है।

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ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े पांच मिथ जो सभी महिलाओं को जानना चहिए

1. बीमार होने पर शिशु को दूध नहीं पिलाना चाहिए

हमारे समाज में यह बहुत बड़ा मिथक है की मां को बीमार होने पर बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवानी चाहिए। जबकि सामान्य बीमारी जैसे खांसी, सर्दी, बुखार आदि में मां बच्चों को स्तनपान करवा सकती है। मां के शरीर में रोग प्रतिरोधक एंटीबॉडी का निर्माण होता है जो दूध के माध्यम से बच्चों को भी प्राप्त होता है। इससे बच्चों के इम्युनिटी सिस्टम पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। कुछ गंभीर बीमारियों में डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही बच्चों को स्तनपान करवाएं।

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2. दूध पिलाने से स्तन ढीले हो जाते है 

कई महिलाऐं अपने बच्चों को इसीलिए स्तनपान कराने से बचती है क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है की स्तनपान कराने से स्तन ढीले हो जाते है। जबकि ऐसा नहीं होता है। स्तनों की बनावट और ढीलापन कई अन्य कारणों पर निर्भर करता है। जैसे गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन स्तनों की मांसपेशियों और त्वचा पर प्रभाव डालते हैं और वजन में उतार-चढ़ाव भी स्तनों की बनावट को प्रभावित कर सकता है। 

3. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होता है काफी दर्द

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शुरुआती दिनों में ब्रेस्टफीडिंग करवाने के दौरान महिलाओं को काफी दर्द होता है। इसलिए महिलाएं अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग करवाने से डरती है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। शुरुआती दिनों में ही मां को अनकंफरटेबल फील होता है। लेकिन धीरे-धीरे महिलाएं खुद अपने बच्चों को दूध पिलाने के सही पोजीशन का पता लगा लेती है।

4. स्तनपान के दौरान बस सादा भोजन का सेवन 

बहुत सारी महिलाओं को ऐसा लगता है कि स्तनपान के दौरान वह कुछ अपने मन का नहीं खा सकती, बस सादा भोजन ही खा सकती है। लेकिन ऐसा नहीं है। स्तनपान करवाने के दौरान मां को एक हेल्थी डाइट यानी पोषक तत्व से भरे खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए जो उसके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक साबित हो।

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5. मां के स्तन में दूध की कमी 

कुछ माताओं को ऐसा लगता है कि उनके स्तन में दूध नहीं है, जबकि सच्चाई तो यह है कि कई बार स्तनपान कराने के बावजूद भी महिलाओं के स्तन में दूध की कमी कभी नहीं होती है। आपका शरीर आपके भोजन के बाद बच्चे के हिसाब से दूध का उत्पादन कर देता है जिससे आप शिशु को दूध पिला सकती हैं। किसी गंभीर स्थिति में ही आपके स्थानों में दूध की कमी हो सकती है। ऐसी स्थिति आने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य ले।

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