Advertisment

Menstrual Hygiene Day: पीरियड्स से जुड़ी 5 वर्जनाएं जिन्हें अब खत्म करने की जरूरत है

क्या पीरियड्स के दौरान आप बाल नहीं धो सकतीं? क्या सेनेटरी पैड्स छिपाकर खरीदना पड़ता है? जानिए भारत में पीरियड्स से जुड़ी 5 प्रमुख वर्जनाओं के बारे में और उन्हें कैसे खत्म किया जा सकता है।

author-image
Vaishali Garg
New Update
Menstrual Health

Menstrual Hygiene Day: कभी किसी दुकान से सेनेटरी पैड खरीदते वक्त उसे छिपाने की कोशिश की है? या बचपन में कभी इस बात पर ताना सुना है कि पीरियड्स के दौरान आचार नहीं खाना चाहिए? अगर हां, तो आप अकेली नहीं हैं। भारत में आज भी मासिक धर्म (Periods) को लेकर कई तरह की वर्जनाएं और गलत धारणाएं मौजूद हैं। 

Advertisment

हर महीने होने वाला यह प्राकृतिक चक्र अज्ञानता और गलत सूचनाओं के कारण अक्सर सामाजिक कलंक का शिकार हो जाता है। लड़कियों को बचपन से ही पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करना सिखाया नहीं जाता, जिससे उनके मन में कई तरह के सवाल और गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं। ये गलतफहमियां न केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी कम करती हैं। 

गौर करने वाली बात ये है कि मासिक धर्म एक स्वस्थ्य प्रक्रिया है। यह शरीर के हार्मोनल बदलावों का एक प्राकृतिक हिस्सा है, जिसका हर महिला को अनुभव होता है। मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है, लेकिन यह किसी भी तरह से अशुद्धता का संकेत नहीं देता। 

इस साल मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (28 मई) के मौके पर आइए हम मिलकर इन वर्जनाओं को तोड़ने का संकल्प लें। आज के इस लेख में हम बात करेंगे पीरियड्स से जुड़ी 5 प्रमुख वर्जनाओं को खत्म करने की, जिनका सामना आज भी महिलाओं और लड़कियों को करना पड़ता है। 

Advertisment

पीरियड्स से जुड़ी 5 वर्जनाएं जिन्हें अब खत्म करने की जरूरत है 

1. स्पर्शहीनता और अशुद्धता का मिथक (Myth of Untouchability and Impurity)

सबसे आम गलत धारणाओं में से एक यह है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाएं अशुद्ध होती हैं। इस मिथक के कारण, पीरियड्स वाली महिलाओं को रसोईघर में जाने या पूजा पाठ करने से मना किया जाता है। यह उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग कर देता है और उनकी आत्मसम्मान को कमजोर करता है। 

Advertisment

तथ्य यह है कि मासिक धर्म एक स्वस्थ्य प्रक्रिया है। यह शरीर के हार्मोनल बदलावों का एक प्राकृतिक हिस्सा है। पीरियड्स के दौरान उचित स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है, लेकिन यह किसी भी तरह से अशुद्धता का संकेत नहीं देता।

2. खामोशी का कहर (The Silence Around Periods)

मासिक धर्म के बारे में खुलकर बातचीत करना एक वर्जना है। स्कूलों में या घर पर इस विषय पर खुलकर चर्चा नहीं की जाती। इससे लड़कियों को यह महसूस होता है कि पीरियड्स कोई शर्मनाक बात है, जिसके बारे में बात नहीं करनी चाहिए। 

Advertisment

यह खामोशी गलत सूचनाओं को फैलने देती है और किशोरियों को भ्रमित करती है। मासिक धर्म के बारे में खुलकर बातचीत करना जरूरी है, ताकि लड़कियां सही जानकारी हासिल कर सकें और मासिक धर्म को स्वीकार सकें।

3. पीरियड्स के दौरान पाबंदियां (Restrictions During Periods)

कुछ घरों में, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह की पाबंदियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें मंदिर जाने, त्योहारों में शामिल होने या यहां तक कि बाल धोने से भी मना किया जाता है। ये पाबंदियां न केवल अवैज्ञानिक हैं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों का हनन भी करती हैं।  

Advertisment

पीरियड्स के दौरान महिलाओं को किसी भी तरह की विशेष पाबंदी की जरूरत नहीं होती है। वे अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों को सामान्य रूप से जारी रख सकती हैं। बस इतना ध्यान रखना होता है कि अच्छी स्वच्छता बनाए रखें।

4. पीरियड्स प्रोडक्ट्स को छिपाना (Hiding Period Products)

सेनेटरी पैड्स जैसे पीरियड प्रोडक्ट्स को अक्सर शर्मिंदगी के साथ खरीदा और इस्तेमाल किया जाता है। कई बार तो दुकान से खरीदते समय भी महिलाएं उन्हें छिपाने की कोशिश करती हैं। 

Advertisment

यह जरूरी है कि हम इस सोच को बदलें। सेनेटरी पैड्स स्वास्थ्य के लिए जरूरी चीजें हैं, उसी तरह जैसे साबुन या टूथपेस्ट। इन्हें छिपाने की कोई जरूरत नहीं है। 

5. पीरियड्स को कमजोरी का संकेत मानना (Considering Periods a Sign of Weakness)

कुछ लोगों का मानना है कि पीरियड्स महिलाओं की कमजोरी का संकेत हैं। यह सोच पूरी तरह से गलत है। मासिक धर्म दरअसल महिला शरीर की ताकत का प्रतीक है। यह प्रजनन क्षमता का संकेत देता है। 

Advertisment

पीरियड्स के दौरान महिलाओं को थकान और हल्का दर्द महसूस हो सकता है, लेकिन यह कमजोरी नहीं है। हर महिला अपने पीरियड्स का अलग-अलग अनुभव करती है। 

Menstrual Hygiene Day menstrual hygiene Periods
Advertisment