हमारे देश में आज भी सेक्स एक टैबू टॉपिक है, इसलिए सेक्स, मेंस्ट्रुएशन, मास्टरबेशन, पोर्न, और सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ से रिलेटेड लगभग सारे टॉपिक्स पर लोगों के पास जानकारी बहुत कम है। इस कारण इन टॉपिक्स पर मिथ बहुत आसानी से फैल जाते हैं। पोर्न एक ऐसा टॉपिक है जिस पर लगभग कोई नहीं बात करता, जिसके कारण इसके बारे में बहुत सारे मिथ फैले हुए हैं।
पोर्न के बारे में मिथ
1. पोर्न गंदा है
अधिकतर पोर्न गन्दा है क्योंकि इसे मर्दो के लिए दुसरे मर्द बनाते हैं। वे इस प्रकार बनाए जाते हैं की औरतों को ओब्जेक्टिफाई किया जाए और आदमी की इजैक्युलेट करने में मदद मिले। ऐसे क्लिप्स में केवल आदमी को स्टार के तरह दिखाया जाता है। केवल आदमी के आनंद के बारे में दिखाया जाता है। इस कारण कई पुरुषों को भी पोर्न पसंद नहीं आता, और ख़राब लगता है। म्यूचुअल प्लेशर के बारे में अधिकतर पोर्न में नहीं दिखाया जाता।
हालांकि यह एक मिथ्या है की सरे पोर्न ख़राब या गंदे होते हैं। पोर्न के कई टाइप होते हैं। ऐसे भी पोर्न वीडियो हैं जो महिलाओं के लिए बने होते हैं, जिससे महिलाओं को आनंद हो।
एथिकल पोर्न नामक भी एक टाइप है, जिसमें कोई रिवेंज पोर्न या किसी के अनजाने में फिल्म की गई वीडियो नहीं है। सरे एक्टर्स अपनी मर्ज़ी से पोर्न में परफॉर्म करते हैं।
2. पोर्न नशीला है
यह एक पोर्न के बारे में एक बहुत ही फेमस बात है। पर यह सिर्फ अधूरा सच है। पूरा सच यह है की पोर्न देखने के अलावा लोगों को पता ही नहीं है की वे अपने मस्टरबैशन के लिए क्या कर सकते हैं। दूसरी बात यह है की क्योंकि हमारे समाज में लड़की के शरीर, जैसे ब्रेस्ट्स, कमर आदि की इस हद्द तक ओब्जेक्टिफाई कर दिए गया है की साइकॉलोजिकली वह ऐसे प्रभाव डालता है की लोग बार बार उसे ही देखना चाहते हैं।
इसलिए लोग पोर्न देख सकते हैं, पर उससे भी बेहतर यह है की वे अपने फैंटसी को यूज़ कर सकते हैं। वे सिन को याद कर, उसमें अपने हिसाब से चैंजेस कर सकते हैं।
3. पोर्न से सेक्स एड्युकेशन मिलती है
जी नहीं। पोर्न में कुछ भी असली नहीं है। जैसे की हर फिल्म में होता है, पोर्न में भी बहुत “मसाला” मिलाया जाता है, ताकि लोगों को पसंद आये। इसलिए यह समझना बहुत ही ज़रूरी है की पोर्न को सेक्स एडुकेशन का सब्स्टीट्यूट नहीं मन जा सकता है।
लोगों को पोर्न के अलावा अपने आप को एक्सप्लोर करने की ज़रूरत है। अपने आप को क्रिएटिव होने देने की आवश्यकता है। लोगों को जब अपने शरीर और सेक्सुअलिटी के साथ कम्फर्ट लगेगा, वे पार्टनर के साथ भी बेहतर सेक्स का आनंद ले पाएंगे।
4. पोर्न के तरह महिलाएं असली में भी बहुत मोन करती हैं
हालांकि सेक्स के आनंद लेते समय महिलाएँ और पुरुष भी आवाज़े निकाल सकते हैं, वह पोर्न वीडियो से काफी अलग होते हैं। असलियत में महिला के आवाज़ वैसे नहीं होते जैसे की उसे दर्द हो रहा है।
कई लोग पोर्न के आवाज़े सुन कर सोचते हैं की उनके पार्टनर भी वैसा स्वर निकालेंगे, पर ऐसा होता नहीं है।
5. पोर्न के तरह महिला को बार बार ओर्गाज्म होते हैं
यह एक और मिथ्या है जो पोर्न ने फैलाया है। महिलाओं के लिए एक बार ओर्गाज्म करना भी कठिन हो सकता है, अगर उनके पार्टनर केवल पेनिट्रेटिव सेक्स तक टिके रहे। इसलिए जब लोग असली में पार्टनर के साथ सेक्स करते हैं, उन्हें मल्टीपल ऑर्गज़्म की उम्मीद होती है, पर वे निराश हो जाते हैं।
असलियत में एक ओर्गास्म के बाद दोनों पार्टनर काफी थक जाते हैं, इसलिए सेक्स को जारी रखना या दोबारा करना मुश्किल हो सकता है। साथ ही, जेनेटिलिया इतना सेंसिटिव हो जाता है की अधिकतर महिलाओं के लिए सेक्स जारी रखना आनंदमय नहीं होता है।