पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में हार्मोन से संबंधित होने वाला एक विकार है। इस विकार में महिलाओं के अंडाशय में सिस्ट का निर्माण हो जाता है। जिस कारण महिलाओं में असंतुलित पीरियड्स के साथ-साथ और भी बहुत सी परेशानियां होती हैं। जैसे पाचन संबंधी समस्या होना, अनचाहे बालों का अधिक आना, बालों का झड़ना, वजन बढ़ना, थकान होना, सरदर्द, नींद अच्छे से ना आना, आदि।
पीसीओएस विकार के कारण महिला शरीर में एंड्रोजन हार्मोन जो कि एक मेल हार्मोन है यह बढ़ने लगता है। जिस कारण महिलाओं के शरीर में बहुत सी समस्याएं होती हैं। पीसोओएस एक प्रकार का विकार है जिसे आप अपने खान-पान और दिनचर्या में उचित बदलाव लाकर ठीक कर सकते हैं।
पीसीओएस के प्रकार -
पीसीओएस के चार प्रकार होते हैं। इसका इलाज करने से पहले इसका सही प्रकार जानना जरूरी होता है। तभी पीसीओएस को सही प्रकार ठीक किया जा सकता है।
1. Adrenal PCOS
एड्रीनल पीसीओएस के प्रकार में आपको शरीर में अधिक थकान महसूस होती है। इसमें आपके बाल पतले और कमजोर हो जाते हैं और झड़ने लगते हैं। साथ ही अनचाहे बाल ज्यादा आने लगते हैं। इस प्रकार के पीसीओएस में आपको अत्यधिक मूड स्विंगस होते हैं। इस प्रकार के पीसीओएस में आप अलग-अलग प्रकार के बीज खा सकते हैं जैसे कद्दू के बीज, अलसी आदि।
2. Inflammatory PCOS
इन्फ्लेमेटरी पीसीओएस में आपको चेहरे पर एक्ने की समस्या अधिक होती है। इसमें आपको आंत से जुड़ी परेशानियां भी होती है और आपको जोड़ो का दर्द परेशान करता है। इन्फ्लेमेटरी पीसीओएस में काली किशमिश का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए आप 8 से 10 काली किशमिश रात भर पानी में भिगो कर रखें और सुबह खा लें।
3. Insulin Resistance PCOS
इस प्रकार के पीसीओएस में आपको मीठा खाने का बहुत मन होता है। इसमें आपका वजन भी बढ़ जाता है और चेहरे पर अधिक अनचाहे बाल आते हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस पीसीओएस में चिया सीड्स बहुत लाभदायक होते हैं।
4. Thyroid Induced PCOS
थायराइड इंड्यूस्ड पीसीओएस में आपका वजन अत्यधिक बढ़ जाता है जिसे कंट्रोल करना चुनौतीपूर्ण होता है। साथ ही आपके बाल भी बहुत अधिक मात्रा में झड़ते हैं। इस प्रकार के विकार में ब्राजील नट्स का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। रात को ब्राजील नट्स को पानी में भिगा कर रखें और सुबह इसे खा लें।
ध्यान दें कि आपको एक साथ दो या अधिक प्रकार के पिसीओएस हो सकते हैं। इसलिए इसका उचित जाँच कराने के बाद ही इलाज करे।