डिलीवरी के बाद महिलाओं को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

डिलीवरी के बाद महिलाओं को कमजोरी, हार्मोनल असंतुलन, पोस्टपार्टम डिप्रेशन, स्तनपान समस्याएँ, वजन बढ़ना और पारिवारिक दबाव जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जानें इनके कारण, प्रभाव और समाधान।

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Vaishali Garg
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बच्चे को जन्म देना किसी भी महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक अनुभव होता है, लेकिन डिलीवरी के बाद का समय उतना ही चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। इस समय शरीर में कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं, जिनका सीधा असर महिला के स्वास्थ्य और जीवनशैली पर पड़ता है। समाज में अक्सर मां बनने की खुशी पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, लेकिन इस दौरान महिलाओं को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उन्हें अनदेखा कर दिया जाता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि डिलीवरी के बाद महिलाओं को किन-किन समस्याओं से गुजरना पड़ता है।

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डिलीवरी के बाद महिलाओं को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

1. शारीरिक समस्याएँ और कमजोरी

डिलीवरी के बाद महिला का शरीर अत्यधिक कमजोर हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान जो पोषण और ऊर्जा शरीर ने बच्चे के विकास में लगा दी होती है, उसे वापस पाने में समय लगता है। नॉर्मल डिलीवरी हो या सी-सेक्शन, दोनों ही स्थितियों में महिलाओं को दर्द, थकान और कमजोरी का अनुभव होता है।

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सी-सेक्शन के बाद रिकवरी: सर्जरी के कारण पेट के टांकों में दर्द और असहजता बनी रहती है। हल्का चलना-फिरना तक मुश्किल हो सकता है और कई हफ्तों तक पूरी तरह सामान्य होना कठिन होता है।

नॉर्मल डिलीवरी के बाद समस्याएँ: टांकों का दर्द, योनि में सूजन, बार-बार पेशाब जाने की समस्या और शरीर में भारीपन महसूस होना आम है।

2. हार्मोनल असंतुलन और बाल झड़ना

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गर्भावस्था और डिलीवरी के बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव बहुत तेजी से होते हैं। इस कारण से कई महिलाओं को अत्यधिक पसीना आने, मूड स्विंग्स, थकान और अचानक बाल झड़ने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में महिलाओं को थायरॉइड असंतुलन जैसी समस्याएँ भी हो सकती हैं, जो वजन बढ़ने या कम होने का कारण बन सकती हैं।

3. पोस्टपार्टम डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ

डिलीवरी के बाद महिलाओं को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक समस्याओं से भी गुजरना पड़ता है। कई बार उन्हें पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता है, जिसमें वे दुखी, चिड़चिड़ी, निराश और थकी हुई महसूस करती हैं। इस दौरान उन्हें नींद की कमी, अत्यधिक चिंता और बच्चे की देखभाल को लेकर डर का अनुभव हो सकता है।

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भावनात्मक अस्थिरता: कई बार महिलाएँ अपने अंदर मां बनने की खुशी और जिम्मेदारी के बीच भावनात्मक उथल-पुथल महसूस करती हैं।

नींद की कमी: नवजात शिशु के बार-बार जागने के कारण मां को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति और खराब हो सकती है।

4. स्तनपान से जुड़ी समस्याएँ

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स्तनपान हर नवजात के लिए बहुत जरूरी होता है, लेकिन यह प्रक्रिया कई महिलाओं के लिए आसान नहीं होती।

स्तनों में सूजन और दर्द: दूध बनने की प्रक्रिया शुरू होते ही कई महिलाओं के स्तनों में सूजन, दर्द और भारीपन की समस्या हो जाती है।

दूध की कमी या अधिकता: कुछ महिलाओं को दूध कम बनने की समस्या होती है, जिससे बच्चे का पोषण ठीक से नहीं हो पाता, जबकि कुछ महिलाओं को अत्यधिक दूध बनने के कारण दर्द और असहजता झेलनी पड़ती है।

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फीडिंग के दौरान दर्द: कई बार गलत पोजीशन में बच्चे को स्तनपान कराने से निपल्स में चोट या दर्द हो सकता है, जिससे यह प्रक्रिया और मुश्किल बन जाती है।

5. वज़न बढ़ने और बॉडी इमेज की चिंता

डिलीवरी के बाद वजन बढ़ना एक आम समस्या है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में जो वसा जमा होती है, वह आसानी से कम नहीं होती। महिलाओं को अक्सर अपने बढ़े हुए पेट और शरीर के आकार को लेकर चिंता होती है, खासकर जब समाज उनसे जल्द से जल्द पहले जैसी फिगर में आने की उम्मीद करता है। लेकिन हार्मोनल बदलाव और नींद की कमी के कारण वजन कम करना और भी मुश्किल हो जाता है।

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6. योनि और पेशाब से जुड़ी समस्याएँ

नॉर्मल डिलीवरी के बाद कई महिलाओं को योनि में दर्द, सूखापन और भारीपन महसूस होता है। कुछ मामलों में पेशाब को रोक पाने में कठिनाई हो सकती है, जिसे ‘यूरेनरी इनकंटिनेंस’ कहा जाता है। यह स्थिति अस्थायी होती है, लेकिन कई बार यह लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे असहजता होती है।