Sexually Transmitted Infection: एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए ज़रूरी है ख़ुद का स्वस्थ होना। इस दौड़ती-भागती ज़िंदगी में कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं अपनी सेहत से खिलवाड़ कर जाती हैं। यहीं से शुरू होती हैं समस्याएं। बता दें, शरीर में कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो ठीक हो जाती हैं, लेकिन कुछ ऐसी होती हैं जिन्हे यदि समय रहते नहीं ठीक किया गया तो वे आजीवन बनी रहती हैं। इतना ही नहीं वे हमारे आने वाली पीढ़ी पर भी असर छोड़ जाती हैं। एक छोटी-सी लापरवाही कई पीढ़ियों तक असर कर जाती है।
क्या है एसटीआई
एसटीआई का नाम तो सुना होगा, पर, क्या आप जानते हैं एसटीआई है क्या? एसटीआई का अर्थ है: सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन। महिलाओं में एसटीआई के चांसेस पुरुषों की तुलना में ज़्यादा होते हैं। ऐसे में महिलाओं को अपने योनांगों की सुरक्षा और उसके स्वास्थ्य पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।
क्यों होता है एसटीआई
एसटीआई जिसे हिंदी में 'यौन संचारित संक्रमण' कहते हैं, योनि, गुदा या मौखिक यौन संपर्क के माध्यम से प्रेषित होते हैं। असुरक्षित सेक्स इसका प्रमुख कारण है। ऐसा ज़रूरी नहीं कि एसटीआई रोगी देखकर पहचान लिया जाए; ऐसा भी हो सकता है कि लक्षण प्रथम दृष्टया नहीं समझ आएं और कई बार तो लक्षण पता भी नहीं चलते।
महिलाओं में एसटीआई से जुड़ी आम बीमारियां हैं:
- मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) (human
- papillomavirus (HPV))
- सूजाक (gonorrhea)
- क्लैमाइडिया संक्रमण (chlamydia)
- जननांग परिसर्प (genital herpes)
क्या हैं एसटीआई के प्रमुख लक्षण हैं
- वैजाइना में पेन होना। हालांकि, सेक्स के दौरान पेन भी इसका कारण है।
- योनि के आसपास के अंगों में दर्द।
- मुंह या योनि के आसपास घाव या छोटे-छोटे दाने और उनमें खुजली।
- योनि मार्ग से असामान्य डिस्चार्ज।
- पेशाब में जलन और रंग बदलना या अधिक या उसका बार बार आना।
बता दें, एसटीआई से बचाव का उपाय है, असुरक्षित यौन संबंधों से बचाव, लोगों को जागरूक करना और समय-समय पर अपनी जांच कराना।