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Menopause Tips: बढ़ती उम्र में कैसे बैलेंस करें मेनोपॉज़ की दिक्कतें

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मेनोपॉज में योनि में बदलाव से वेजाइनल ड्राईनेस, सेक्‍सुअल रिलेशन में परेशानी, यूरिनरी लिकेज जैसी समस्‍याएं होने लगती हैं। मेनोपॉज हर महिला के जीवन में आना तय है और यह कुछ महिलाओं के लिए हॉट फ्लैशेज, नींद की समस्या, मूड स्विंग्‍स और बहुत सारी समस्‍याओं का कारण बन सकता है। आपके पहले पीरियड्स से लेकर आपके अंतिम पीरियड्स यानि मेनोपॉज तक, आपकी योनि का स्वास्थ्य कई उतार-चढ़ावों से गुजरता है। 

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Menopause Tips: बढ़ती उम्र में कैसे बैलेंस करें मेनोपॉज़ की दिक्कतें 

आज हम कुछ ऐसी परेशानियों के बारे में चर्चा करेंगे, जो बढ़ती उम्र में वेजाइना के बदलाव से रिलेटेड है- 

वेजाइनल ड्राईनेस

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एस्‍ट्रोजन हार्मोन वेजाइनल और रिप्रोडक्टिव हेल्‍थ के लिए बहुत जरूरी होता है। जब यह कम होने लगता है तब बहुत सारी परेशानियां होने लगती हैं। मेनोपॉज के बाद एस्‍ट्रोजन और म्‍यूकस के कम होने से वेजाइनल ड्राईनेस होने लगती है और इसकी वजह से स्राव थोड़े गाढ़े हो जाते है या बिल्‍कुल बंद हो जाते हैं। ड्राईनेस की वजह से इस हिस्‍से में खुजली रहती हैं और सेक्‍स के दौरान भी ड्राईनेस की वजह से दर्द होता है।

इंटरकोर्स में परेशानी 

एस्‍ट्रोजन की कमी से वेजाइना के नीचे मौजूद म्‍यूकस ड्राई होने लगता है। इसके बाद वह पतला भी होता है। पतला इसलिए होता है क्‍योंकि वह इलास्टिक टिश्‍यू को कम करता है। पतले वेजाइना के कारण सेक्‍सुअल रिलेशन के दौरान ब्‍लीडिंग और दर्द होता है। कभी-कभी ड्राईनेस और त्‍चचा में पतलापन इतना ज्‍यादा होता है कि कट्स होने लगते हैं।

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यूरिन लीकेज का डर

एस्‍ट्रोजन बॉडी के इलास्टिक टिश्‍यू की हेल्‍थ को बनाए रखता है। लेकिन जब एस्‍ट्रोजन कम होने लगता है तब इलास्टिक टिश्‍यू की इलास्टिसिटी और आमउंट कम होने लगता है। जैसे एजिंग शुरू होने पर झुर्रियां और लाइन्‍स आने लगती हैं ठीक वैसे ही आपके पेल्विक फ्लोर में भी होता है। पेल्विक फ्लोर पर जब ऐसा होता है, तब दो तरह की समस्‍याएं होने लगती हैं। पहला, जब यह ब्‍लैडर के साथ होता है तब यूरिनरी लिकेज की समस्‍या हो सकती है। यह स्ट्रेस इनकॉन्टीनेंस और अर्ज इनकॉन्टीनेंस की वजह से होता है। पेरिमोनोपॉजल स्‍टेज में बहुत सारी महिलाओं को इस समस्‍या का सामना करना पड़ सकता है। यह समस्‍या हल्‍की से गंभीर हो सकती है।

यूरिनेशन में हो सकती है जलन 

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जब एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है, तो ये ऊतक सूखने लगते हैं, जिससे "खराब" बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिलता है। आपके यूरेथ्रा और यूरिनार्य डक्ट में इन्फेक्शन के कारण जलन होनी शुरू हो जाती है। बहुत सारे तरल पदार्थ पीना और नियमित रूप से पेशाब करना दोनों ही अभ्यास करने की अच्छी आदतें हैं। क्रैनबेरी को डाइट में शामिल करने से बैक्टीरिया को मूत्राशय की दीवार से चिपकने से रोकने में भी मदद मिलती है। 

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