C- Section Delivery क्या होता है? जानें इसके फायदे और नुकसान

सी सेक्सन यानि सिजेरियन प्रेग्नेंसी के समय की जाने वाली एक सर्जरी है। इसे कई मामलो में माँ और बच्चे के लिए सुरक्षित मानते है और इससे रिकवरी देर से होती है।

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Simran Kumari
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C section delivery

What is C - section delivery, Its advantages and disadvantages: सी-सेक्शन ( C section delivery) जिसे सिजेरियन भी कहते है, डिलीवरी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें बच्चे का जन्म मां के पेट और युटेरस में चीरा लगाकर किया जाता है। इसे तब किया जाता है जब नॉर्मल डिलीवरी मां या बच्चे के लिए सुरक्षित न हो। ऐसे में एक सर्जरी का फैसला लेना थोड़ा सा कठिन हो सकता है। सी-सेक्शन कई कारणों से किया जा सकता है जिसमें प्रेग्नेंसी: (Pregnancy) में कॉम्प्लिकेशन, युटेरस का पूरी तरह से न खुलना, ज्यादा ब्लीडिंग जैसी समस्याए शामिल है। ऐसे में आइए जानते है इसके कुछ फायदे और नुकसान क्या हो सकते है? 

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सी-सेक्शन के फायदे

 1.सुरक्षित विकल्प

कुछ इमरजेंसी के मामलों में जब नॉर्मल डिलीवरी से मां या बच्चे को खतरा हो, तो सी-सेक्शन सबसे सुरक्षित विकल्प होता है। ऐसे में कई डॉक्टर इसकी सलाह देते है। इसके अलावा कई बार कॉम्प्लिकेटेड प्रेग्नेंसी जिसमें ज्यादा ब्लीडिंग या इन्फेक्शन का डर हो उसमें में सी सेक्शन ही फायदेमंद ओर सुरक्षित विकल्प होता है।

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 2. पहले से तय होता है

यदि सी-सेक्शन पहले से तय हो, तो माता-पिता डिलेवरी के लिए ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार हो सकते हैं और खुद को इसके लिए मेंटली प्रिपेयर कर सकते है। इसमें डिलीवरी की तारीख पहले से तय होती है, जिससे खासकर गर्भवती मां को इसके लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करने में मदद मिलती है और महिला को का समय मिल जाता है।

3.संभावित जोखिमों को कम करना

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सी-सेक्शन, डिलेवरी से जुड़े संभावित जोखिमों जैसे कि बच्चे के हृदय गति का गिरना या बच्चे को चोट लगने का खतरा कम कर सकता है। साथ ही सी सेक्शन के समय एनेस्थीसिया दी जाती है जो डिलेवरी के समय होने वाले दर्द को कम कर सकती है।

4. कुछ मेडिकल परिस्थितियों के लिए सुरक्षित

अगर मां को थायराइड, दिल की बीमारी या ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो सी-सेक्शन ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है और किसी भी जोखिम को कम कर सकता है।

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सी-सेक्शन के नुकसान

1.लंबा रिकवरी टाइम

नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में सी-सेक्शन के बाद रिकवरी में ज्यादा समय लगता है। इसमें आमतौर पर 6 से 8 हफ्ते लग सकते हैं। पहले कुछ हफ़्ते सबसे संवेदनशील होते हैं। ऐसे में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ सकती है।

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 2.इन्फेक्शन का खतरा

यह एक बड़ी सर्जरी है, इसलिए इसमें संक्रमण का खतरा होता है। सर्जरी के बाद टांकों में दर्द, सूजन और असुविधा हो सकती है, खासकर खांसने, हंसने या बच्चा उठाने पर।

 3. ज्यादा ब्लीडिंग 

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नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में इसमें ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है और साथ ही सी-सेक्शन के बाद गर्भाशय थोड़ा कमजोर हो सकता है, जिससे भविष्य में गर्भधारण में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। सर्जरी के बाद पेट पर एक निशान रह जाता है।

4. पेट पर निशान बच्चे पर प्रभाव

कुछ मामलों में, सी-सेक्शन से जन्मे बच्चों को सांस लेने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है, क्योंकि वो नॉर्मल डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द से नहीं गुजरते हैं। सी-सेक्शन के बाद पूरी रिकवरी के लिए पर्याप्त आराम, पोषण और डॉक्टर की सलाह का पालन करना महत्वपूर्ण होता है।

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