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Health Issue: क्या है डिपेंडेट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर?

डिपेंडेट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक ऐसी दिमागी कंडीशन जिसमें व्यक्ति दूसरों पर अधीन रहने, उनका सहारा लेने, और अपने लिए हुए फैसलों को सही न मानते हुए दूसरो की बातों को ही ठीक मानता हो।

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Kavya Gupta
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What is Dependent Personality Disorder: एक ऐसी दिमागी कंडीशन जिसमें व्यक्ति दूसरों पर अधीन रहने, उनका सहारा लेने और अपने लिए हुए फैसलों को सही न मानते हुए दूसरो की बातों को ही ठीक मानता हो। इसके कारण ऐसे व्यक्ति को असुरक्षा होने लगती हैं। खुद पर विश्वास खो देना ही इस डिसऑर्डर का मुख्य लक्षण होता है। ऐसे व्यक्ति मानते है कि वे अपना ख्याल नहीं रख सकते। उन्हें दूसरो की सहमति बिना अपने रोजमर्रा के निर्णय लेने में परेशानी होती है, जैसे क्या पहनना या क्या खाना है। उन्हें आमतौर पर यह एहसास नहीं होता कि उनके विचार और व्यवहार में कुछ गलत हैं।

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क्या है डिपेंडेट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर?

1. बचपन का अनुभव 

अगर किसी व्यक्ति को बचपन में हमेशा उसकी कमियों का एहसास करवाया जाता रहा हों या उसके द्वारा की गई छोटी छोटी गलतियों पर भी बहुत ज्यादा टोका जाता हो तो ऐसे मै उसके आत्मविश्वास पर चोट पहुंचती है और वे अपने आपको कोई निर्णय लेने योग्य नहीं समझ पाते और इसी के वजह से उन्हें अधिक सहारे और समर्थन की आदत पड़ जाती हैं।

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2. परिवार 

एक परिवार का एक बच्चे के जीवन पर गहरा असर होता हैं। यदि आपके पारिवारिक वातावरण में स्थिरता की कमी होती है तो वही झलक हम बच्चों के व्यवहार में भी दिखाई दे जाती हैं।

3. आत्मविश्वास की कमी

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अगर व्यक्ति ने कभी अपने ऊपर विश्वास न करके हमेशा अन्य लोगों की निर्णय पर अधिक भरोसा किया है, तो यह डिसऑर्डर विकसित हो सकता है।

4. माता पिता का अत्यधिक दखल

किसी व्यक्ति के जीवन मै अगर उसके माता पिता का बहुत ज्यादा दखल है तो ऐसे लोगो का अपने जीवन में कोई फैसला नहीं ले पाना तय हैं।

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5. छोड़े जाने का डर

डीपीडी के मरीज अक्सर इस बात से डरे रहते हैं कि उनके दोस्त या उनका परिवार उन्हें कभी भी छोड़के जा सकते हैं। उन्हें लगता है कि उनके अपने करीबी किसी भी समय उनकी देखभाल करना छोड़ सकते हैं। यही कारण है कि डीपीडी के मरीज अपने करीबियों के पास बने रहने की हर संभव कोशिश करते हैं।

क्या है इलाज

डॉक्टर्स का मानना है कि ऐसे मरीजों को काउंसलिंग लेनी चाहिए। साथ ही ऐसे व्यक्तियों को उनके घर परिवार में एक अच्छा खुशनुमा माहौल दिया जाना बहुत आवश्यक है। उसके अलावा उनके कॉन्फिडेंस को बूस्ट करना चाहिए, ताकि वह कोई भी फैसले खुद से कर सके। इतना ही नहीं उन्हे अपने डर और डाउट्स को समझने और उन्हें दूर करने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए।

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