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What is OCD and Why Does It Occur in People: ओसीडी यानी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति को बार बार अनचाहे विचार और कुछ निश्चित आदतें या क्रियाएं करने की मजबूरी महसूस होती है। ये विचार और व्यवहार उनके जीवन को प्रभावित करते हैं और उन्हें तनाव और चिंता में डाल देते हैं। ओसीडी के कारण व्यक्ति का दिमाग लगातार एक ही बात पर अटक जाता है और उसे मनचाहा आराम पाने के लिए बार बार कुछ क्रियाएं करनी पड़ती हैं। यह बीमारी कई लोगों को प्रभावित करती है और सही इलाज मिलने पर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
ओसीडी क्या है और यह लोगों में क्यों होती है
1. ओसीडी क्या है
ओसीडी एक मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति को बार-बार परेशान करने वाले विचार आते हैं जिन्हें वह रोक नहीं पाता। ये विचार उसे असुविधा और चिंता देते हैं। इन्हें कम करने के लिए वह बार-बार कुछ काम करता है जैसे बार बार हाथ धोना चीजों को एक खास तरीके से रखना या लगातार जांच करना। ओसीडी में ये दोनों होते हैं जो व्यक्ति के रोजमर्रा के कामों में बाधा डालते हैं।
2. ओसीडी के कारण क्या होते हैं
ओसीडी क्यों होता है इसका कोई एक स्पष्ट कारण नहीं है, लेकिन इसके पीछे कई कारक हो सकते हैं। इसमें दिमाग के रासायनिक संतुलन का टूटना जैसे सेरोटोनिन हार्मोन की कमी एक बड़ा कारण माना जाता है। इसके अलावा जेनेटिक यानी परिवार में पहले से मौजूद मानसिक समस्याएं तनाव और बचपन के कुछ ट्रॉमैटिक अनुभव भी ओसीडी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
3. ओसीडी के लक्षण कैसे पहचानें
ओसीडी के लक्षणों में बार बार एक ही बात सोचते रहना खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने के डर से कई बार जांच करना बार बार सफाई या हाथ धोना चीजों को एक खास क्रम में रखना और कई बार शब्दों या गिनती को दोहराना शामिल है। ये लक्षण व्यक्ति के काम पढ़ाई और सामाजिक जीवन को प्रभावित करते हैं।
4. ओसीडी का मानसिक और शारीरिक प्रभाव
ओसीडी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। इससे व्यक्ति तनाव में रहता है उसकी नींद खराब हो सकती है और वह अकेलापन महसूस कर सकता है। शारीरिक रूप से भी बार-बार एक ही क्रिया करने से हाथ या शरीर के अन्य हिस्सों में चोट या थकान हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति की आत्मसम्मान कम हो जाता है और वह सामान्य जीवन जीने में कठिनाई महसूस करता है।
5. ओसीडी का इलाज और उससे कैसे बचाव करें
ओसीडी का इलाज संभव है। इसके लिए मानसिक चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी होता है। थेरैपी बहुत प्रभावी होती है जिसमें व्यक्ति को अपने विचारों और व्यवहार को समझने और नियंत्रित करने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके साथ ही डॉक्टर दवाइयां भी दे सकते हैं जो दिमाग के हार्मोन संतुलन को ठीक करती हैं। तनाव से बचना नियमित दिनचर्या बनाए रखना और सकारात्मक सोच रखना भी ओसीडी से बचाव में मदद करता है।