Thalassemia: थैलेसीमिया एक आनुवंशिक (genetic) रक्त विकार है, जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) और लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की कमी हो जाती है। हीमोग्लोबिन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है और शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुँचाने का कार्य करता है। थैलेसीमिया में शरीर पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता, जिसके कारण रक्त की गुणवत्ता प्रभावित होती है और शरीर को ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।
यह बीमारी आनुवंशिक होती है, यानी यह माता-पिता से बच्चों में जाती है। अगर दोनों माता-पिता के पास इस बीमारी का जीन होता है, तो बच्चे को थैलेसीमिया होने की संभावना होती है। थैलेसीमिया का इलाज पूरी तरह से संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
थैलेसीमिया के प्रकार
थैलेसीमिया के दो मुख्य प्रकार होते हैं
1. बीटा थैलेसीमिया (Beta Thalassemia)
यह सबसे सामान्य प्रकार है और इसमें बीटा ग्लोबिन का निर्माण कम हो जाता है। यह विशेष रूप से भूमध्यसागर, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य-पूर्व और भारत में अधिक पाया जाता है।
2. एल्फा थैलेसीमिया (Alpha Thalassemia)
इसमें एल्फा ग्लोबिन की कमी होती है। यह बीमारी दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन और अफ्रीका में अधिक पाई जाती है।
थैलेसीमिया के लक्षण
थैलेसीमिया के लक्षण व्यक्ति के प्रकार और गंभीरता के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं।
1. एनीमिया (Anemia)
थैलेसीमिया में रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है, जिससे एनीमिया हो सकता है। एनीमिया के कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और व्यक्ति को थकान, कमजोरी, चक्कर आना और सांस फूलने जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
2. पीली त्वचा (Jaundice)
जब रक्त कोशिकाएँ जल्दी टूटती हैं, तो बाइल पिगमेंट (bilirubin) का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण त्वचा और आंखों के सफेद हिस्से में पीला रंग आ सकता है। इसे जॉन्डिस कहते हैं।
3. हृदय की समस्याएँ (Heart Issues)
ऑक्सीजन की कमी के कारण हृदय पर दबाव बढ़ सकता है और दिल की धड़कन तेज हो सकती है। गंभीर मामलों में हृदय की समस्याएँ जैसे दिल का आकार बढ़ना या दिल का काम कम होना भी हो सकता है।
4. हड्डियों में परिवर्तन (Bone Deformities)
थैलेसीमिया के कारण शरीर ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने की कोशिश करता है, जिससे हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं। इससे चेहरे और सिर की हड्डियाँ सामान्य से बड़ी दिखने लग सकती हैं, और हड्डियों में दर्द और समस्याएँ हो सकती हैं।
5. विकास में देरी (Delayed Growth)
बच्चों में थैलेसीमिया के कारण शारीरिक और मानसिक विकास में देरी हो सकती है। वे सामान्य बच्चों की तुलना में छोटे और कमजोर हो सकते हैं।
6. प्लीहा और यकृत में वृद्धि (Enlarged Spleen and Liver)
थैलेसीमिया के रोगियों में प्लीहा (spleen) और यकृत (liver) का आकार बढ़ सकता है, क्योंकि यह अंग रक्त को छानने का कार्य करते हैं। इससे पेट में दर्द और ऐंठन हो सकती है।
7. इन्फेक्शन का खतरा (Increased Risk of Infection)
कमजोर रक्त और प्लीहा के बढ़े हुए आकार के कारण इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
थैलेसीमिया का इलाज
थैलेसीमिया का कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
1. रक्त आधान (Blood Transfusion)
थैलेसीमिया के गंभीर रूपों में मरीज को नियमित रूप से रक्त की आवश्यकता होती है। रक्त आधान से शरीर में रेड ब्लड सेल्स की कमी को पूरा किया जाता है, जिससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल पाती है।
2. आयरन चेलेशन थैरेपी (Iron Chelation Therapy)
रक्त आधान के कारण शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ सकती है। अधिक आयरन के कारण शरीर में विभिन्न अंगों में नुकसान हो सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए आयरन को बाहर निकालने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
3. हड्डी के मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant)
कुछ मामलों में, हड्डी के मैरो का ट्रांसप्लांट एक प्रभावी इलाज हो सकता है, जो थैलेसीमिया से छुटकारा दिला सकता है। यह इलाज केवल कुछ चयनित मरीजों के लिए उपयुक्त होता है।