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त्वचा के रंग में हो रहा बदलाव तो हो जाएं सावधान, हो सकता है विटिलिगो का संकेत

हैल्थ: यदि आपको अपने त्वचा का रंग अचानक बदला हुआ दिखता है, तो उस पर तुरंत ध्यान दें क्योंकि यह विटिलिगो का संकेत हो सकता है। जिसमें त्वचा का रंग धीरे-धीरे सफेद होने लगता है।

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Ruma Singh
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Vitiligo

(Credit Image- Freepik)

What Is Vitiligo And How To Prevent It? त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है, जो हर अंग को बाहर से ढ़के रखता है। ऐसे में यदि हमारे शरीर के अंदरूनी हिस्से में किसी प्रकार की परेशानी होती है, तो उसका असर सबसे पहले हमारे त्वचा पर दिखने लगता है। यदि आपको अपने त्वचा का रंग अचानक बदला हुआ दिखता है, तो उस पर तुरंत ध्यान दें क्योंकि यह विटिलिगो का संकेत हो सकता है। जिसमें त्वचा का रंग धीरे-धीरे सफेद होने लगता है। हालांकि इस पर सेहत का उतना कोई खास असर नहीं होता है, लेकिन फिर भी आपको मानसिक और भावनात्मक तौर पर यह कई तरह की परेशानियां ला देता हैं।

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क्या है विटिलिगो?

यह आमतौर पर सफेद रंग का त्वचा से जुड़ी बीमारी है। जिसे विटिलिगो कहा जाता है। इसमें त्वचा का रंग धीरे-धीरे फीका पड़ने लगता है। जिसे देख अक्सर लोग काफी तनाव में चले जाते हैं। यह हाथ, अग्रभाग पर या चेहरे पर शुरू होता है, लेकिन बाद में यह आपके शरीर के किसी भी हिस्से पर विकसित हो सकता है। जिसमें मुंह, नाक, जननांग और आंखें भी शामिल हैं। इससे पीड़ित हर व्यक्ति की त्वचा की प्रभावित मात्रा अलग-अलग होती है। कई लोगों में त्वचा का रंग व्यापक रूप से भी खत्म हो जाता हैं।

विटिलिगो होने का कारण

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  • इसके कारण त्वचा में सफेद दाग आ जाते हैं। जिसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन सबसे मुख्य कारण शरीर में रंग उत्पादन करने वाली कोशिकाएं यानि मेलानोसाइट्स जो अपना काम करना बंद कर देती है। यह कोशिकाएं ही हमारे होंठ, त्वचा और बाल को रंग प्रदान करती हैं। जिससे हमारे शरीर की त्वचा और व्यक्तित्व निखर कर सामने आता है। 
  • वही 10 से 20% मामले में यह जेनेटिक बीमारी भी होती है। साथ ही यह अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों से भी जुड़ी हो सकती हैं। जैसे कि एनीमिया और थायरॉइड आदि।
  • पोषण की कमी, विटामिन डी, विटामिन बी12, एलर्जी, हेयर ड्राई रंग, एजेंट, सौंदर्य प्रसाधन भी इसके प्रसार के कारण बनते हैं।

इसका क्या उपचार है?

विटिलिगो के लिए कोई तय उपचार नहीं है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार इससे पीड़ित व्यक्ति को 8 घंटे तक तांबे के बर्तन में पानी रखना चाहिए, फिर उसको पीना चाहिए। साथ ही आप इसके बचाव के लिए दाल, हरी पत्तेदार, सोयाबीन, गाजर का सेवन कर सकते हैं। खासतौर पर करेले का सेवन ज़रूर से ज़रूर करें। इसका इलाज आप होम्योपैथी, एलोपैथी या आयुर्वेद से भी कर सकते हैं। वहीं कुछ दवाईयां, थेरेपी भी इसके लिए मौजूद हैं लेकिन खुद कोई भी चीज का इस्तेमाल करने से बचें। 

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Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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