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महिलाओं का स्वास्थ्य सिर्फ उनकी जिम्मेदारी नहीं बल्कि पूरे परिवार और समाज का विषय होना चाहिए। फिर भी, कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्याएं ऐसी हैं जिन्हें महिलाएं या तो खुद गंभीरता से नहीं लेतीं या फिर समाज उन्हें उतना महत्व नहीं देता। इस लेख में हम उन 5 प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दों की चर्चा करेंगे जिन्हें महिलाएं अक्सर नज़रअंदाज़ कर देती हैं, लेकिन जिनका समय पर ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े 5 मुद्दे जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है
1. पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं को हल्के में लेना
अधिकांश महिलाएं मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द, अनियमित पीरियड्स, अत्यधिक रक्तस्राव, या अचानक रुकने जैसी समस्याओं को सामान्य मानकर अनदेखा कर देती हैं। लेकिन ये संकेत हार्मोनल असंतुलन, थायरॉइड, PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम), या एंडोमेट्रियोसिस जैसी बीमारियों की ओर इशारा कर सकते हैं।
क्या करें?
- पीरियड्स के पैटर्न में बदलाव को हल्के में न लें।
- किसी भी असामान्यता पर डॉक्टर से सलाह लें।
- हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
2. मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करना
महिलाएं अक्सर अपने परिवार और समाज की अपेक्षाओं को पूरा करने में खुद के मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा कर देती हैं। डिप्रेशन, एंग्जायटी, पोस्टपार्टम डिप्रेशन और स्ट्रेस जैसी समस्याएं आम हैं, लेकिन कई महिलाएं इनका खुलकर ज़िक्र नहीं करतीं।
क्या करें?
- मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को स्वीकारें और जरूरत पड़ने पर थेरेपी या काउंसलिंग लें।
- खुद को समय दें और वो करें जिससे खुशी मिलती है।
- अपनी भावनाओं को दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें।
3. हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसिस) को नज़रअंदाज़ करना
महिलाओं में 30 की उम्र के बाद हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) का खतरा बढ़ जाता है। प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज के बाद कैल्शियम और विटामिन डी की कमी इस समस्या को और गंभीर बना सकती है।
क्या करें?
- डेली डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी युक्त चीजें शामिल करें।
- सुबह की धूप लें और एक्सरसाइज को रूटीन में शामिल करें।
- नियमित रूप से हड्डियों की जांच कराएं।
4. हृदय रोग (दिल की बीमारियां) को पुरुषों की समस्या समझना
कई महिलाएं मानती हैं कि हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी बीमारियां केवल पुरुषों को ही होती हैं, जबकि यह एक बहुत बड़ा मिथक है। आजकल महिलाओं में भी दिल की बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर 40 की उम्र के बाद।
क्या करें?
- हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज को प्राथमिकता दें।
- ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर की नियमित जांच करवाएं।
- स्मोकिंग और ज्यादा फैटी फूड से बचें।
5. रिप्रोडक्टिव हेल्थ को गंभीरता से न लेना
महिलाएं अक्सर प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज, सेक्सुअल हेल्थ और गर्भनिरोधक उपायों को लेकर जागरूक नहीं होतीं। कई महिलाएं नियमित स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श भी नहीं लेतीं, जिससे कई समस्याएं समय रहते पकड़ में नहीं आतीं।
क्या करें?
- साल में एक बार गाइनेकोलॉजिस्ट से चेकअप करवाएं।
- सेफ सेक्स प्रैक्टिस अपनाएं और STD (यौन संचारित रोग) की जांच करवाएं।
- मेनोपॉज के लक्षणों को गंभीरता से लें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें।
महिलाओं का स्वास्थ्य सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी संतुलित होना चाहिए। खुद की सेहत को प्राथमिकता देना स्वार्थ नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी है। इन पांच स्वास्थ्य मुद्दों को नज़रअंदाज़ करना महंगा पड़ सकता है, इसलिए समय रहते उचित कदम उठाना जरूरी है। याद रखें, एक स्वस्थ महिला ही एक स्वस्थ परिवार और समाज की नींव रख सकती है।