OCD Obsessive Compulsive Disorder: जानिए क्या होती है ओसीडी और क्यों होती है

ओसीडी एक मानसिक रोग है जिसमें व्यक्ति को बार बार एक ही प्रकार के विचार आते हैं कई बार यह समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि व्यक्ति को यह समझ में नहीं आता।

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Sanya Pushkar
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What is OCD Obsessive Compulsive Disorder and Why Does It Occur: ओसीडी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर एक मानसिक रोग है, जिसमें व्यक्ति को बार बार एक ही प्रकार के विचार आते हैं या वह किसी विशेष कार्य को बार-बार दोहराने के लिए मजबूर महसूस करता है। यह एक गंभीर समस्या हो सकती है क्योंकि इससे व्यक्ति का दैनिक जीवन प्रभावित होता है। ओसीडी को हिंदी में "अनिवार्य बाध्यता विकार" कहा जाता है। यह रोग मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है और इसमें व्यक्ति को अपने व्यवहार और विचारों पर नियंत्रण नहीं रह पाता। कई बार यह समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि व्यक्ति को यह समझ में नहीं आता कि उसके विचार वास्तविकता से जुड़े हैं या सिर्फ उसके दिमाग की उपज हैं। इससे उसकी जीवनशैली में काफी बदलाव आ सकता है और कई बार यह समस्या व्यक्ति के कार्यक्षमता और संबंधों को भी प्रभावित कर सकती है।

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ओसीडी क्या होती है और क्यों होती है?

1. ओसीडी क्या होती है? 

ओसीडी मुख्य रूप से दो भागों में बंटी होती है ऑब्सेशन और कम्पल्शन ऑब्सेशन वे विचार होते हैं जो बार बार दिमाग में आते हैं और व्यक्ति को चिंता या घबराहट महसूस कराते हैं। ये विचार अनचाहे होते हैं और व्यक्ति इन्हें रोकना चाहता है, लेकिन रोक नहीं पाता। उदाहरण के लिए, बार बार यह सोचना कि हाथ गंदे हो गए हैं और उन्हें धोना जरूरी है, दरवाजे या गैस स्टोव को बार बार बंद करने की जांच करना, यह डर कि कोई नुकसान हो जाएगा या कोई गलती हो गई है। दूसरी ओर, कम्पल्शन वे क्रियाएँ होती हैं जो व्यक्ति ऑब्सेशन से बचने के लिए करता है। यह एक तरह की बाध्यता बन जाती है, जिसमें व्यक्ति को लगता है कि अगर वह यह कार्य नहीं करेगा, तो कोई बुरा परिणाम हो सकता है। उदाहरण के लिए, हर थोड़ी देर में हाथ धोते रहना, बार बार चीजों को गिनना या एक विशेष क्रम में रखना, ताले, गैस, लाइट को बार बार चेक करना। 

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2. ओसीडी क्यों होती है?

ओसीडी होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह समस्या दिमाग में सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी या असंतुलन के कारण हो सकती है। सेरोटोनिन एक ऐसा रसायन है जो हमारे मूड और भावनाओं को नियंत्रित करता है। जब इसका स्तर असंतुलित हो जाता है, तो व्यक्ति को बार-बार चिंता और अनचाहे विचार आने लगते हैं। इसके अलावा, यदि किसी के परिवार में पहले से किसी को ओसीडी की समस्या रही है, तो यह अनुवांशिक रूप से भी आगे बढ़ सकती है। तनाव और चिंता भी ओसीडी को बढ़ाने वाले प्रमुख कारणों में से एक हैं। जब व्यक्ति अत्यधिक तनाव में रहता है, तो उसके दिमाग में नकारात्मक विचार ज्यादा आने लगते हैं और वह बार बार किसी न किसी चीज की पुष्टि करने या उसे दोहराने की आदत बना लेता है। बचपन के अनुभव और परवरिश भी ओसीडी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि कोई व्यक्ति बचपन में बहुत सख्त अनुशासन में बड़ा हुआ है, तो उसमें परफेक्शन सभी चीजों को सही करने की आदत की भावना विकसित हो सकती है।

3. ओसीडी का प्रभाव

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ओसीडी व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। यह केवल मानसिक परेशानी नहीं होती, बल्कि यह व्यक्ति के व्यक्तिगत, सामाजिक और पेशेवर जीवन को भी प्रभावित कर सकती है। ओसीडी से ग्रसित व्यक्ति को बार बार कोई कार्य करने की बाध्यता महसूस होती है, जिससे उसकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति अगर सफाई को लेकर अत्यधिक चिंतित है, तो वह हर थोड़ी देर में हाथ धोता रहेगा, जिससे उसका काफी समय बर्बाद हो सकता है। इसी तरह, कुछ लोग चीजों को बार बार चेक करते रहते हैं, जैसे दरवाजा बंद है या नहीं, गैस स्टोव बंद है या नहीं, जिससे उनकी मानसिक शांति भंग हो सकती है। यह समस्या व्यक्ति के संबंधों को भी प्रभावित कर सकती है क्योंकि उसके बार-बार दोहराए जाने वाले व्यवहारों से परिवार के सदस्य या दोस्त परेशान हो सकते हैं। कई बार ओसीडी के कारण व्यक्ति सामाजिक गतिविधियों से कटने लगता है और अकेलापन महसूस करने लगता है। यह व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी, डिप्रेशन और घबराहट जैसी समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। 

4. ओसीडी का इलाज

ओसीडी का इलाज संभव है और सही चिकित्सा पद्धति अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस समस्या को दूर करने के लिए मनोचिकित्सा एक प्रभावी तरीका है। इस थेरेपी में व्यक्ति को यह सिखाया जाता है कि वह अपने डर और बाध्यकारी व्यवहार को कैसे नियंत्रित कर सकता है। इस तकनीक के माध्यम से व्यक्ति को यह समझाया जाता है कि उसके विचार वास्तविक नहीं हैं और उसे बार-बार दोहराए जाने वाले व्यवहार की कोई जरूरत नहीं है। इसके अलावा, डॉक्टर से सलाह लेकर सेरोटोनिन को बढ़ाने वाली दवाइयाँ ली जा सकती हैं, जो ओसीडी के लक्षणों को कम कर सकती हैं। कुछ मामलों में, योग, ध्यान और व्यायाम भी मददगार साबित हो सकते हैं क्योंकि ये मानसिक शांति प्रदान करते हैं और चिंता को कम करते हैं। जीवनशैली में बदलाव, जैसे संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और सकारात्मक सोच अपनाने से भी ओसीडी को नियंत्रित किया जा सकता है। 

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