Know Your Desire: जब रिश्ते में हो सिर्फ फिजिकल प्यार, क्या करें?

फिजिकल अट्रैक्शन किसी भी रिश्ते की शुरुआत हो सकता है, लेकिन अगर रिश्ते में यही रह जाए और इमोशनल जुड़ाव न रहे, तो रिश्ता अधूरा महसूस होने लगता है। आइये जानते हैं ऐसे में क्या करें?

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Priya Singh
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What to do when there is only physical love in a relationship? रिश्ते हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा होते हैं। ये हमें इमोशनल सपोर्ट देते हैं, एक पार्टनर का साथ देते हैं और हमें यह एहसास कराते हैं कि हम अकेले नहीं हैं। लेकिन कभी-कभी हम ऐसे रिश्तों में उलझ जाते हैं जो सिर्फ शारीरिक आकर्षण पर आधारित होते हैं। शुरू में यह रिश्ता रोमांचक और नया लगता है, लेकिन समय के साथ जब भावनात्मक जुड़ाव की कमी महसूस होती है, तब मन में कई सवाल उठने लगते हैं। तो आइये जानते हैं कि जब रिश्ते में सिर्फ फिजिकल प्यार हो तब क्या करें-

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Know Your Desire: जब रिश्ते में हो सिर्फ फिजिकल प्यार, क्या करें?

खुद से ईमानदारी जरूरी है

जब किसी रिश्ते में भावनाओं से ज़्यादा शारीरिक नजदीकी हावी हो जाए और वह रिश्ता सिर्फ उसी तक सीमित रह जाए, तो यह समझना ज़रूरी हो जाता है कि आप उस रिश्ते में क्या चाहते हैं। क्या आप खुद भी सिर्फ फिजिकल कनेक्शन की तलाश में हैं या आप एक गहरा, इमोशनल रिलेशन चाहते हैं? यह आत्ममंथन करना बेहद ज़रूरी है। कई बार लोग अकेलेपन से बचने के लिए ऐसे रिश्तों में बने रहते हैं, लेकिन इससे अंदर ही अंदर खालीपन बढ़ता जाता है।

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बातचीत का महत्व

अगर आप महसूस करते हैं कि यह रिश्ता आपकी इमोशनल ज़रूरतें पूरी नहीं कर रहा, तो सबसे पहला कदम होता है खुद से ईमानदारी से बात करना। अपने मन की गहराइयों में उतरें और पूछें, क्या मैं इस रिश्ते में संतुष्ट हूं? क्या मुझे यहां सिर्फ साथ की आदत है या वाकई इसमें प्यार है? अगर जवाब उलझन भरा हो, तो खुद को वक्त देना ज़रूरी है।

किसी भी रिश्ते में बातचीत की ताकत सबसे बड़ी होती है। अगर आपको लग रहा है कि आपका रिश्ता सिर्फ शारीरिक स्तर पर टिक रहा है, तो इस बारे में अपने पार्टनर से खुलकर बात करें। यह बात करते समय किसी पर दोष देने की बजाय अपनी भावनाएं शेयर करना ज़रूरी है। हो सकता है कि आपके पार्टनर ने भी इस पहलू पर कभी सोचा ही न हो और अगर उन्होंने सोचा हो लेकिन वो आपकी तरह इमोशनल रिलेशन नहीं चाहते, तो आपको यह समझने की ज़रूरत है कि शायद आप दोनों की अपेक्षाएं अलग हैं।

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खुद को प्राथमिकता दें

ऐसे रिश्तों में बने रहना, जहां मन और आत्मा को जुड़ाव महसूस न हो, धीरे-धीरे खुद को खोने जैसा होता है। इसलिए अगर रिश्ते का स्वरूप आपकी भावनात्मक जरूरतों के अनुकूल नहीं है, तो उसे छोड़ना भी एक तरह की समझदारी है। इसका मतलब यह नहीं कि आपने हार मान ली, बल्कि यह एक संकेत है कि आप खुद को और अपनी भावनाओं को महत्व दे रहे हैं।

जरूरी यह भी है कि आप खुद को प्राथमिकता दें। जब हम किसी ऐसे रिश्ते में होते हैं जो सिर्फ शारीरिक है, तो कई बार हम खुद की मानसिक शांति और आत्मसम्मान को दरकिनार कर देते हैं। इसलिए खुद को समझना, अपनी खुशी को समझना और खुद से प्यार करना ज़रूरी है। खुद के लिए समय निकालें, अपनी पसंद की चीज़ें करें और वह जिंदगी जीने की कोशिश करें जो आपको अंदर से संतुष्टि दे।

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हर रिश्ता हमेशा के लिए नहीं होता

यह भी समझना ज़रूरी है कि हर रिश्ता लंबे समय के लिए नहीं होता। कुछ रिश्ते बस हमें एक सीख देने के लिए आते हैं। अगर आपके और आपके पार्टनर की प्राथमिकताएं मेल नहीं खा रही हैं, तो अलग रास्ता चुनना बेहतर हो सकता है। यह कोई असफलता नहीं, बल्कि अपने लिए सही रास्ता चुनने की प्रक्रिया है।

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