Women In Sports: जानिए महिला खिलाड़ियों को कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है

खेलों में महिलाओं की भागीदारी ने पिछले कुछ दशकों में अत्यधिक बढ़ोतरी देखी है। इस लेख में हम महिला खिलाड़ियों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।

author-image
Sanya Pushkar
New Update
Meet the women in sports who made history in 2024

Women in Sports Understanding the Challenges Female Athletes Face: खेलों में महिलाओं की भागीदारी ने पिछले कुछ दशकों में अत्यधिक बढ़ोतरी देखी है। आज महिलाएं लगभग हर खेल में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रतिस्पर्धा कर रही हैं फिर भी उन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। समाज में पुरुषों को खेलों में जो सम्मान और अवसर मिलते हैं वही महिलाएं पाने के लिए संघर्ष करती हैं। महिला खिलाड़ियों को न केवल खेल की दुनिया में अपनी पहचान बनानी होती है बल्कि उन्हें कई सामाजिक मानसिक और आर्थिक अवरोधों का भी सामना करना पड़ता है। इस लेख में हम महिला खिलाड़ियों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।

Advertisment

जानिए महिला खिलाड़ियों को कौनसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है

1. लिंग भेदभाव और रूढ़िवादिता

महिला खिलाड़ियों को सबसे बड़ी चुनौती लिंग भेदभाव और समाज की रूढ़िवादी सोच से होती है। खेलों को अक्सर पुरुषों का क्षेत्र समझा जाता है, और महिलाओं को कमज़ोर या नाकामयाब मान लिया जाता है। यह सोच उनके प्रदर्शन और अवसरों को सीमित कर देती है। कई बार महिलाओं को यह साबित करना पड़ता है कि वे किसी भी खेल में पुरुषों से कम नहीं हैं चाहे वह फुटबॉल हो क्रिकेट या किसी अन्य खेल में। इस मानसिकता से न सिर्फ उनका आत्मविश्वास प्रभावित होता है बल्कि उन्हें समाज में समान अवसर मिलने में भी कठिनाई होती है।

Advertisment

2. असमान वेतन और प्रायोजन अवसर

महिला खिलाड़ियों को असमान वेतन और प्रायोजन अवसरों का सामना करना पड़ता है। कई खेलों में पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन में भारी अंतर होता है भले ही महिलाएं भी उसी स्तर पर प्रदर्शन कर रही हों। उदाहरण के तौर पर फुटबॉल और क्रिकेट जैसे खेलों में महिला खिलाड़ियों को पुरुष खिलाड़ियों के मुकाबले बहुत कम वेतन मिलता है। इसके अलावा महिला खिलाड़ियों के पास पुरुषों की तुलना में बहुत कम प्रायोजन और एंडोर्समेंट के अवसर होते हैं जो उनकी आर्थिक स्थिति और प्रसिद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

3. कम मीडिया कवरेज

Advertisment

महिला खेलों का मीडिया में कवरेज पुरुषों के मुकाबले बहुत कम होता है। जबकि पुरुष खेलों का व्यापक रूप से प्रसारण और प्रचार होता है महिला खेलों को उतना महत्व नहीं मिलता। जब भी महिला खेलों का प्रसारण किया जाता है तो अधिकतर ध्यान महिला खिलाड़ियों की प्रदर्शन क्षमता की बजाय उनके लुक्स निजी जीवन या फैशन पर होता है। यह मीडिया का पक्षपाती दृष्टिकोण महिला खिलाड़ियों की सफलता को सही तरीके से पहचानने और उन्हें उचित पहचान दिलाने में रुकावट डालता है।

4. सीमित सुविधाएं और प्रशिक्षण संसाधन

महिला खिलाड़ियों को अक्सर पुरुषों की तुलना में कम सुविधाएं और प्रशिक्षण संसाधन मिलते हैं। खेल के मैदान प्रशिक्षण उपकरण मेडिकल सुविधाएं और कोचिंग में असमानताएं पाई जाती हैं। कई बार महिला खिलाड़ियों को वे सुविधाएं भी नहीं मिल पातीं जो उनके पुरुष समकक्षों को प्राप्त होती हैं जिससे उनकी तैयारी और प्रदर्शन प्रभावित होते हैं। यह असमानता उनके खेल स्तर को बाधित करती है और उन्हें सफलता प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

Advertisment

5. पारिवारिक जीवन और खेल करियर का संतुलन

महिला खिलाड़ियों के लिए अपने खेल करियर और पारिवारिक जीवन का संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। भारतीय समाज में विशेष रूप से महिलाओं से यह उम्मीद की जाती है कि वे घर और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाएं जबकि पुरुष खिलाड़ियों से इस तरह की उम्मीद नहीं होती। इसके कारण, महिला खिलाड़ी अक्सर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों और खेल करियर के बीच संघर्ष करती हैं। बहुत सी महिला खिलाड़ी परिवार के दबाव के कारण अपने खेल करियर को बीच में छोड़ने के लिए मजबूर हो जाती हैं या फिर वे अपनी भूमिका को कमतर समझती हैं।

women Sports understanding female Challenges Athletes